
इन खनन पट्टों और स्टोन क्रशर पर लगी रोक
प्रदेश सरकार ने उन सभी स्टोन क्रशर, स्क्रीनिंग प्लांट और खनिजों के भंडारण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है जिनकी स्वीकृतियां विधानसभा चुनाव की आदर्श आचार सहिंता लागू होने के 15 दिन पहले हरीश रावत सरकार ने जारी की थी. इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं. सरकार के इस फैसले से करीब 40 स्टोन क्रशर, 20 स्क्रीनिंग प्लांट और आधा दर्जन से अधिक निजी नाप भूमि के खनन पट्टों पर तलवार लटक गई है. शासन ने इन सभी की जांच करने का निर्णय लिया है वहीं सरकार के इस निर्णय पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस का आरोप है कि जिन अधिकारियों ने पहले इन पट्टों को स्वीकृत किया आज उन्हीं अधिकारीयों से सरकार ने इन पट्टों को कैंसिल करवा दिया है. इससे साफ पता चलता है कि, अधिकारी सरकार के दबाव में काम कर रहे हैं. प्रदेश में चार जनवरी 2016 को आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हुई थी, तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने आचार संहिता लागू होने से पहले 15 दिनों के दौरान नई उपखनिज चुगान नीति के तहत निजी नाप भूमि के खनन पट्टों को मंजूरी दी थी साथ ही खनिजों के भंडारण और स्क्रीनिंग प्लांट के लाइसेंस भी बांटे थे. तब विपक्ष ने सरकार के इस निर्णय पर सवाल उठाए थे. वहीं अब भाजपा के सतारूढ हो जाने के बाद हरीश रावत राज में बांटे गए इन खनन पट्टों की नए सिरे समीक्षा की चर्चांए सियासी हलकों में पिछले काफी समय से तैर रही थी. यही कारण है कि कांग्रेस भी सरकार के इस फैसले को राजनैतिक तौर पर देख रही है. कांग्रेस का कहना है कि सरकार बदले की भावना के कारण ही पूर्व सरकार द्वारा नियम कानून के तहत किए गए सभी कार्यों को निरस्त कर रही है.