इस बार पुलिस ने कांवड़ यात्रा को लेकर सख्ती बरती है। इस बार कांवडि़यों के हाथों में हॉकी और डंडे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। पुलिस ने इस बार कांवड़ यात्रा के दौरान डीजे पर भी पूरी तरह बैन लगा दिया है। हर बार सैकड़ों की तादाद में कांवडि़ए हाथों में हॉकी- डंडे और लंबे- लंबे त्रिशूल लेकर चलते हैं। टैंपो में डीजे का शोर भी खूब होता है। कांवड़ क्षेत्र, यानी नीलकंठ ऋषिकेश से आगे कांवडि़यों की वेशभूषा में जाने पर रोक रहेगी। कांवड़ में इस वर्ष यात्रियों की संख्या बढ़ने की संभावना के मद्देनजर सुरक्षा बलों को अधिक सतर्क रखा जाएगा। कांवड़ व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए अंतर्राजीय तालमेल पर भी विशेष ध्यान रहेगा। सोमवार को पुलिस मुख्यालय में कांवड़ मेले को लेकर उत्तराखंड, यूपी, हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली पुलिस और अन्य एजेंसियों की बैठक हुई। राज्य के डीजीपी एमए गणपति ने कहा कि बैठक का मकसद पारस्परिक सहयोग व समन्वय से शांति व कानून व्यवस्था बनाने का है। बैठक में बताया गया कि बीते दो दशकों में कांवडि़यों की संख्या में भारी बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। पहले जहां यहां संख्या 20 लाख के आसपास थी वहीं 2016 में यह संख्या 3.24 करोड़ रही। इस वर्ष यह और बढ़ने की संभावना है। डीजीपी गणपति ने साफ आदेश दिए हैं कि कांवड़ यात्रा के दौरान यात्रा व्यवस्था में लगे सभी नोडल अधिकारियों के व्हाट्स ऐप ग्रुप बनाए जाएंगे। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय बैरियरों पर संयुक्त चेकिंग की जाएगी। यात्रा रूट पर लंगरों को निश्चित स्थान पर ही लगाने की अनुमति होगी। साथ ही सोशल मीडिया में भेजे जाने वाले संदेशों पर भी निगरानी रखी जाएगी। अपराधों को लेकर भी हुई चर्चा कांवड़ यात्रा को लेकर सोमवार को हुई संयुक्त बैठक में उत्तराखंड के जघन्य अपराधों, अंतर्राजीय अपराधी गैंग, ईनामी बदमाश व फरार अपराधियों के संबंध में अंतर्राजीय समन्वय पर भी चर्चा हुई। इस दौरान अंतर्राष्ट्रीय व अंतर्राजीय सीमाओं पर अपराध नियंत्रण के लिए सूचनाओं के आदान प्रदान करने व समय- समय पर सीमावर्ती जनपदों के थाना प्रभारियों की बैठक कराने पर जोर दिया गया।