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उत्तराखंड सशक्त भू-कानून पर धामी सरकार को झटका….उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चुनौती देती याचिकाओं पर करी सुनवाई
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने धामी सरकार के सशक्त भू-कानून पर सुनवाई करते हुए धामी सरकार को बड़ा झटका दिया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जमींदारी विनाश अधिनियम के प्रतिबंध असंवैधानिक हैं, लिहाजा उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कानून के प्रविधानों व जमींदारी विनाश अधिनियम के नियमों और उसके उप विनियमों को चुनौती देती दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए नैनीताल जिले के मुक्तेश्वर क्षेत्र में प्रशासन की ओर से भूमि खरीद में नियमों के उल्लंघन से संबंधित छह नोटिसों पर रोक लगाते हुए उत्तराखंड सरकार को छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं
उत्तराखंड सशक्त भू-कानून पर धामी सरकार को झटका
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने धामी सरकार के सशक्त भू-कानून पर सुनवाई करते हुए धामी सरकार को बड़ा झटका दिया है। दरअसल, बीते गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने उत्तराखंड सशक्त भू-कानून के प्रावधानों को चुनौती देती याचिकाओं पर सुनवाई करी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जमींदारी विनाश अधिनियम के प्रतिबंध असंवैधानिक हैं, लिहाजा उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कानून के प्रविधानों व जमींदारी विनाश अधिनियम के नियमों और उसके उप विनियमों को चुनौती देती दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए नैनीताल जिले के मुक्तेश्वर क्षेत्र में प्रशासन की ओर से भूमि खरीद में नियमों के उल्लंघन से संबंधित छह नोटिसों पर रोक लगाते हुए उत्तराखंड सरकार को छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। वहीं उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उक्त मामले की अगली सुनवाई के लिए 6 सप्ताह बाद की तिथि नियत करी है।उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चुनौती देती याचिकाओं पर करी सुनवाई
दरअसल, बीते गुरूवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में राजधानी देहरादून निवासी याचिकाकर्ता क्षितिज शर्मा सहित उनके माता-पिता, दो बहुओं की ओर से प्रशासन के जारी नोटिसों को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वे उत्तराखंड के मूल निवासी हैं, और आजीविका के लिए अन्य राज्य में कार्यरत हैं। कार्य में प्रगति होनें पर उन्होंने नैनीताल जिले के रामगढ़ क्षेत्र के सतबूंगा में भूमि क्रय की, लेकिन अब उत्तराखंड सरकार उन्हें उत्तराखंड का स्थाई निवासी नहीं मान रही है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उत्तराखंड सरकार द्वारा अब उनके ऊपर अनावश्यक रूप से जमींदारी विनाश अधिनियम के कई प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। याचिकार्ताओं का कहना है कि स्थानीय लोगो पर इस तरह के प्रतिबंध लगाया जाना संविधान के विरुद्ध है, वहीं अब उत्तराखंड सरकार ने उन्हें उत्तराखंड में खरीदी गई जमीन की सेल डीड को अवैध बताते हुए उन्हें नोटिस जारी किए है, जो नियम विरुद्ध हैं। याचिका में यह भी कहा गया है कि उत्तराखंड सरकार की ओर से 2003 में अध्यादेश से नियमों में बदलाव कर प्रदेश में भूमि की खरीद फरोख्त को रोकने की मंशा से भू-कानून लागू किया गया है और उत्तराखंड सरकार की ओर से भू-कानून के नियमों में काश्तकारों के हितों की रक्षा के लिए कोई ठोस प्रावधान नहीं किया गया है, जो कि असंवैधानिक है। यााचिकाकर्ताओं के अनुसार उनकी भूमि का 2019 में दाखिल खारिज हो चुका है।लेखक- शुभम तिवारी (HNN24X7)