
एसडीएम गरुड़ की कार्यवाही से यात्रियों को हो रही समस्या
एसडीएम गरुड़ ने डीडीहाट से रानीखेत चलने वाली एकमात्र बस के कागजात अपने कब्जे में लिए। रोजाना की भाँति डीडीहाट- रानीखेत केएमयू की बस जैसे ही बैजनाथ पुल पहुँची तो जाम में फॅस गयी। तभी एसडीएम गरुड़ का सरकारी वाहन भी बस के पीछे जाम में फंस गया। साहब के वाहन द्वारा हार्न व हूटर बजाया गया तो चालक ने आनन-फानन बस किनारे करनी चाही। लेकिन सड़क कम चौड़ी होने के चलते वाहन जाम से नहीं निकल पाया। उनको को जाम में फॅसना नागवार गुजरा और उन्होंने जाम के लिए बस सवार को जिम्मेदार बताते हुए बस के आवश्यक कागजात अपने कब्जे में ले लिए। वाहन चालक द्वारा नकद चालान कराने का निवेदन किया गया, लेकिन साहब ने एक ना सुनी कागज लेकर चल दिए। चालक व परिचालक द्वारा साहब के कार्यालय पहुँच कर कई बार निवेदन किया गया लेकिन कागज वापस नही किए गए। इस बीच बस में सवार 10 से 15 सवारियाँ कागज ना मिलने के चलते लगभग 2 घण्टे तक गाड़ी में ही बैठे रहें। किसी प्रकार 4 बजे के करीब राजनैतिक हतक्षेप के कारण एसडीएम ने वाहन के कागज तो लौटा दिए लेकिन इस कार्रवाई से सबसे अधिक प्रभावित हुए बस में सवार 10-15 यात्री। जो कि बार बार यही कह रहें थे कि हमारे पास रानीखेत पहुँचने का बस के अलावा अन्य कोई साधन नही हैं।
17 वर्षीय युवती लता पन्त ने बताया कि रानीखेत बाजार से गाँव की दूरी बहुत अधिक है साहब ने कागज ले लिए। गाड़ी 4 घण्टे से यही पर हैं। घर जाने का कोई और साधन नही है।प्रेम राम ने कहा कि एसडीएम साहब ने अनावश्यक रूप से परेशान किया। इधर व्यापारियों व स्थानीय समाजसेवियों ने उपजिलाधिकारी की कार्रवाई की निन्दा करते हुए कहा कि या तो जाम लगने के मुख्य कारण अतिक्रमण हटाया जाए या फिर सड़कें चौड़ी की जाए। उन्होंने कहा कि एक अधिकारी से इस प्रकार की अमानवीय कार्रवाई की उम्मीद नही की जा सकती। इधर एसडीएम ने कहा कि वाहन में क्षमता से अधिक सवारियाँ बैठाई गयी थी(28 सवारी में बस पास है और 35 सवारिया बैठी थी) और गलत तरीके से रोड जाम किया गया तभी वाहन के कागज लिए गए जो अधूरे थे साथ ही बस चालक द्वारा और सवारियों को बैठाने का प्रयास किया जा रहा था। लेकिन लम्बी दूरी की यात्रियों को देखते हुये मेरे द्वारा गाड़ी के कागजात दे दिये गये थे ।