
ए राजा और कनिमोझी बरी
2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में गुरुवार को सीबीआई कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. इस मामले में ए राजा और कनिमोझी के साथ सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है. इस मामले में सीबीआई कोर्ट में सबूत पेश करने में नाकाम रही. जिसके चलते सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया. फैसला आने के बाद ए. राजा के समर्थकों ने तालियां बजाईं.2010 में कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) रहे विनोद राय की रिपोर्ट में घोटाले का खुलासा हुआ था। घोटाले पर सुनवाई छह साल पहले 2011 में शुरू हुई थी जब अदालत ने 17 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे। ये पूरा घोटाला 1.76 लाख करोड़ का माना जाता है।
2जी स्कैम आजाद भारत के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला माना जाता है. गुरुवार को सीबीआई के 80,000 पेज के चार्जशीट और लंबी सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट में इस घोटाले पर फैसला सुनाया. मामले की सुनवाई कर रही सीबीआई की विशेष अदालत तीन मामलों में फैसला सुना सकती है. इसमें दो केस सीबीआई के हैं और एक मामला प्रवर्तन निदेशालय का है.
प्रवर्तन निदेशालय के आरोप पत्र में ए राजा, कनिमोझी, शाहिद बलवा, विनोद गोयनका, आसिफ बलवा, राजीव अग्रवाल, करीम मोरानी और शरद कुमार के नाम शामिल हैं. बता दें कि सीबीआई के पहले केस में ए राजा और कनिमोझी समेत पूर्व टेलीकॉम सेक्रेटरी सिद्धार्थ बेहुरा और ए राजा के पूर्व निजी सचिव आरोपी हैं. इनके साथ स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर्स, यूनिटेक के प्रबंध निदेशक पर भी आरोप दर्ज हैं.
सीबीआई ने राजा और अन्य आरोपियों के खिलाफ अप्रैल 2011 में आरोप पत्र दाखिल किया था. सीबीआई ने आरोप लगाया था कि 122 लाइसेंस के आवंटन से 30,984 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था. इसे दो फरवरी 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था.
सीबीआई के दूसरे केस में एस्सार ग्रुप के प्रमोटर रवि रुइया और अंशुमन रुइया, लूप टेलीकॉम के प्रमोटर किरण खेतान, उनके पति आई पी खेतान और एस्सार समूह के निदेशक (स्ट्रैटजी एंड प्लानिंग) विकास सरफ आरोपी हैं. सीबीआई कोर्ट में तीसरा आरोप-पत्र प्रवर्तन निदेशालय ने अप्रैल 2014 में 19 आरोपियों के खिलाफ दाखिल किया था.