किडनी रैकेट : गिरफ्त में सरगना और बेटा
देहरादून के चर्चित किडनी कांड में पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी हैं। इस मामले का मास्टरमाइंड डॉ अमित राउत फरार चल रहा था। सरगना अमित की गिरफ्तारी के लिए पुलिस जगह-जगह दबिश दे रही थी और आखिरकार पुलिस अमित को गिरफ्तार करने में कामयाब हो गई हैं। डॉ अमित देहरादून स्थित गंगोत्री चेरिटेबल अस्पताल में किडनी की खरीद फरोख्त में आरोपी हैं। पुलिस ने इस धंधे के मास्टरमाइंड डॉ अमित को पंचकूला से गिरफ्तार कर लिया हैं। अमित के साथ फरार चल रहे उसके भाई जीवन को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया हैं। इसके साथ ही पुलिस ने एक नर्स और ड्राइवर को भी गिरफ्तार किया हैं। वह अपने बेटे अक्षय राउत और कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर किडनी का धंधा करता था। वही अमित और जीवन की गिरफ्तारी से पहले आरोपी अमित और राजीव चौधरी की गठजोड़ के सबूत भी दोनों के ठिकानों की तलाशी में मिल गये। नेचर विला स्थित दोनों के ठिकानों पर चार घंटे चली तलाशी के दौरान उत्तराखंड डेन्टल कॉलेज और गंगोत्री चैरिटेबल अस्पताल के बीच हुए लीज एग्रीमेंट के दस्तावेज, तीन बैंक अकाउंट समेत अमित पर दर्ज आधा दर्जन से अधिक से अधिक मुकदमों से संबंधित कागजात मिले हैं। तलाशी के दौरान राजीव की पत्नी अनुपमा भी घर पर मौजुद थी। किडनी रैकेट के खुलासे के साथ ही राजनैतिक हलकों में हलचल हैं। बताया जा रहा हैं कि अस्पताल संचालक यूपी से लेकर उत्तराखंड के कई दिग्गज नेताओं के करीबी हैं। जिस डेंटल कॉलेज में ये अस्पताल चल रहा है, वहां भी पूर्व में विवाद होते रहे हैं और तब भी इन विवादों को राजनैतिक हस्तक्षेप से ही सुलझाया गया था। उत्तराखंड डेंटल एंड मेडिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट की वेबसाइट पर आज भी इस अस्पताल का संचालन द गंगोत्री ह्यूमन रिसोर्स एंड डेवलपमेंट सोसाइटी इलाहाबाद के नाम पर दर्ज है। अस्पताल में लम्बे समय से गरीब मजदूर लोगों की किडनी औने-पौने दाम पर निकील कर विदेशी मरीजों को लाखों में बेचने का खेल चल रहा था। यह पूरा खेल मुम्बई से अॉपरेट हो रहा था। एजेंटों के जरिए खाड़ी के मरीजों को अस्पताल लाया जाता था। पुलिस और स्वास्थ्य टीम की जांच में पकड़े गये एजेंट जावेद ने ये बात स्वीकारी है। एक ट्रांसप्लांट के जरिए मरिजों से 25 से 50 लाख रुपये तक लिए जा रहे थे। जबकि गरीबों को किडनी के बदले पचास हजार से लेकर दो लाख रुपये तक दिये जाते थे।