
केदारनाथ में पुर्ननिर्माण कार्यों में नया हैलीपैड बनाने की मिली स्वीकृति
केदारघाटी में हैलीकॉप्टर सेवा संचालक कायदे कानूनों के इतर शासनादेश की जमकर धज्जियां उडा रहे हैं। भले ही इन दिनों यहां हैली सेवाएं बन्द रहती हैं ,मगर कम्पनी के लोग प्रशासन की परवाह करे बगैर हैलीपैड निर्माण में जुटे हुए हैं। स्थानीय लोगों से कम दामों पर जमीनें लीज पर लेकर वहां यात्राकाल के लिए हैलीपैड तैयार करने में जुटे हुए हैं और प्रशासन है कि महज कार्य रुकवा देने के दावे कर रहा है।
जिले में अगर प्राइवेट हैली सेवाओं की बात करें तो 14 हैलीपैड पूरी केदारघाटी में बने थे। जिनको देखते हुए तत्कालीन उड्यन सचिव ने केन्द्रीय उड्यन विभाग को नौ जून 2016 को यहां की भौगौलिक स्थितियों को देखते हुए अन्य हैलीपैड केदारघाटी में न बनने देने की अपनी सहमति भेजी थी। बावजूद इसके बडासू में विगत वर्ष 15 वां हैलीपैड का निमार्ण इस आशय पर किया गया कि केदारनाथ में पुर्ननिर्माण कार्यों में निम को रशद व सामाग्री पहुंचाने के लिए नया हैलीपैड बनाने की स्वीकृति मिली। मगर हैली संचालकों ने यहां से भी व्यवसायिक उडाने भरनी शुरु कर दी। अब जबकि केदारघाटी में नये हैलीपैड बनने की कोई अनुमति नहीं है तो ऐसे में जामू में तीन स्थानों पर चोरी छुपे नये हैलीपैड बनाने का कार्य चल रहा है। जिससे साफ है कि उंची पहुंच रखने वाले हैलीकाफॅटर संचालक किस तरह कायदे कानूनों को हवा में उडा रहे हैं और अधिकारियों के नाक के नीचे अपने व्यवसायिक मंसूबों को पूरा कर रहे हैं। इस सम्बन्ध में जब जिलाधिकारी को पूछा गया तो वही रटारटाया जवाब कि उन्हें शिकायत मिली थी और कार्य को रुकवा दिया गया है। यहां बडी बात य है कि गलत तरीके से बडे स्तर पर निर्माण कार्य खुल्लेआम चल रहा है और प्रशासन के क्षेत्रीय अधिकारी बेरोकटोक कार्यों को संचालित होने दे रहे हैं। और जब उच्चाधिकारी के संज्ञान में मामला पहुचता है तो कुछ दिन के लिए कार्य को रोक दिया जाता है और फिर कुछ दिनों बाद हैलीपैड बनकर तैयार हो जा रहे हैं। इससे साफ है कि कहीं ना कहीं इन हैलीपैडों के बनने में बडा घपला जरुर है जिससे ऐसे अधिकारी कर्मचारियों पर ना तो कोई कार्यवाही हो पाती है और ना ही हैलीपैड निमार्ण में संचालकों को कोई परेशानी हो पाती है।