
देहरादून की सिकुड़ती जल धाराओं ; रिस्पना, बिंदाल और सुसवा नदियों के पुनर्जीवन के संबंध में “मेड” मिला सीएम से
छात्रों के संगठन “मेकिंग ए डिफ्रेंस बाए बीईंग द डिफ्रेंस” यानि मेड ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिये देहरादून की सिकुड़ती जल धाराओं जैसे रिस्पना, बिंदाल और सुसवा नदियों के पुनर्जीवन के संबंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से हुई अपनी मुलाक़ात और उनकी संस्था मेड के लिए मेयर विनोद चमोली के रवैय्ये के बारे में मीडिया को तमाम जानकारियां दी हैं। आपको बता दें कि मेड संस्था हमेशा शहर की सफाई और सुंदरता बनाये रखने के लिए काम करता रही है। इसी कड़ी में संस्था के सदस्यों ने सीएम के साथ एक बैठक में राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान (NIH), रुड़की के ज़रिये तैयार की गई रिपोर्ट की एक प्रति साझा की है। जिसमें रिस्पना को बारह मासी नदी का दर्जा दिया गया था और बिंदाल में भी अस्सी के दशक तक हमेशा जल होने की बात की गई थी। गौरतलब है कि इस रिपोर्ट के जरिए राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान रुड़की ने एक करोड़ रुपए की मांग की थी ताकि पुनर्जीवन और आगे के शोध किए जा सकें। आपको बता दें कि मेड संस्था के कई अभियानों के बावजूद राज्य सरकार ने अब तक इस मांग पर कोई अमल नहीं किया है और नदियों के पुनर्जीवन के लिए राज्य सरकार एक करोड़ रुपए की राशि खर्च करने को अब तक तैयार नहीं थी। इसके संबंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्सुकता दिखाई और मांग को गंभीरता से लेने की बात कही।साथ ही संस्था के संस्थापक अभिजय नेगी ने मेयर विनोद चमोली के रवैय्ये पर भी सवाल खड़े किये हैं। अभिजय का कहना है कि मेयर साहब हमेशा से उनके प्रयासों को छात्रों की फोटो राजनीति कहते आये हैं।वहीं मेड के संस्थापक अभिजय नेगी के इन सवालों के जवाब में मेयर विनोद चमोली ने कहा कि मेरा रवैय्या ज़रा भी सख्त नही है मेरा मक़सद सिर्फ उन स्टूडेंट्स को ट्रैक पर लाना है जो अपनी राह भटक गए हैं।जिस तरह से मेड ने इन नदियों के पुनर्जीवन को लेकर अपने प्रयासों के तमाम सबूत पेश किये हैं, लिहाज़ा सरकारों को भी चाहिए कि इन पर ज़रा गौर करें। जिससे ना तो युवाओं का मनोबल टूटे और ना ही हमारी प्राकृतिक सुंदरता को कोई नुकसान पहुंचे।