
पिछले 26 सालों से गावं के विकास की सरकार ने नहीं ली सुध
सरकार भले ही प्रदेश में विकास के बयार की बात करती हो प्रदेश के लोगों की उन्नति प्रगति के दावे करती हो लेकिन प्रदेश के कोने कोंने से विकास के लिए तरसती ये तस्वीरें कुछ और ही बयाँ करती हैं| तब चाहे वादे करने वाली सरकार पूर्व की हो या वर्तमान की, सब पर ये सवाल खड़े होते हैं की आखिर विकास हो रहा है तो कहाँ और किसका क्योंकि लोग तो आज भी विकास के लिए तरस रहे हैं|कई सालों से सड़क के इन्तजार में हैं कांगड़ा गावं के लोग और इन्तजार भी कम नहीं पूरे 26 सालों का ग्रामीण पिछले 26 सालों से गावं को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए मांग करते आ रहे हैं तब चाहे मांग सडक, शिक्षा की हो या ,स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने की हो।
आज़ादी को 70 वर्ष से भी ज्यादा हो चुके हैं और इन 70 वर्षों में काफी कुछ बदल गया है अगर कुछ नहीं बदला तो ओ है कुछ गावं कुछ क्ष्रेत्रों की बदहाल स्थिति आज हम बात कर रहे हैं जनपद टिहरी के विकासखंड भिलंगना में बसे कांगड़ा गाँव की जहां की आबादी लगभग 1200 से ऊपर है जिसमें से 900 से ज्यादा वोटरों की संख्या है। शायद इस गावं में मीडिया की हमारी पहली टीम होगी जो ८ किलोमीटर का पैदल रास्ता तय करके कांगड़ा गाँव पहुंची होगी और वहां के लोगों से वहां की समस्या के बारे में रूबरू हुई होगी । ये गाँव सड़क मार्ग से लगभग 8 से 10 किलोमीटर पैदल एक दम खड़ी पहाड़ी की चढ़ाई पर स्थित है सायद यही कारण है की आज तक यहाँ की स्थिती नहीं सुधर पाई और लोग बदहाली में जीने को मजबूर हैं यहाँ से चुने गए जनप्रतिनिधि भी लोगों के माप दंडो पर खरे नहीं उतर पाए क्योंकि की जो वायदे इन लोगों से चुनाव के समय किये जाते हैं ओ कभी पुरे ही नहीं होते और उससे बडी दुर्भाग्य की बात ये है की यह बीजेपी बाहुबल्या गाँव होने के बावजूद भी आज तक यह विकास के पहलु से मूल भूत सुविधावों से महरूम है। लोगों का कहना है की उन्होंने हर बार सिर्फ और सिर्फ बीजेपी के प्रत्यासी को वोट दिया है बावजूद इसके उनकी स्थिती फिर भी नही सुधर पाई है अब तो ग्रामीणों का सबसे भरोसा ही उठ गया है।हर साल लोग यहाँ से पलायन कर रहे हैं जिसका मुख्या कारण है यहाँ पर बुनियादी सुविधावों का आभाव होना है।कांगड़ा गाँव के रहने वालों की आँखे सड़क के इन्तजार में पथरा सी गयी है उनका अब सबसे से भरोसा उठ गया है। कांगड़ा गाँव के सोबन सिंह ने बताया की 1991 से कांगड़ा गावं में सड़क की मांग की परिक्रिया शुरू की गई थी इसको लेकर पूर्व में भी कई बार वे लोग चमियाला सड़क पर धरना प्रदर्शन कर चुके है बावजूद इसके आज 26 साल बीत गए हैं लेकिन अभी तक 5 की० मी० सड़क का कार्य भी पूरा नहीं हो पाया है ,जो हो भी रहा है उसकी समय सीमा कब की पूरी हो चुकी है लेकिन काम पूरा नहीं हुआ है बावजूद इसके शाशन प्रशासन इन लोगों पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा जिनके वजह से सड़क के कार्यों में देरी हो रही है. और बाकी आधे का पता ही नहीं है की उसका कार्य कब प्रारंभ होगा. उनका कहना है की इतने समय में तो पूरे भारत की सड़क की समस्या का निदान हो जाना चाहिए था। इस गाँव के बच्चे यहाँ से दूर लाटा गाँव में स्थित राजकीय इंटर कॉलेज में पढने आते हैं वे हर रोज 16 से 18 किलोमीटर पैदल चलते हैं , उनका भी कहना है की वे इतनी दूर चलकर पूरी तरह से थक जाते हैं ऐसे में उनके सही ढंग से पढना भी बहुत मुस्किल है। सरकार से पूरी तरह से भरोसा उठ गया है इस गाँव का , लोग इतने गुस्से में हैं की उन्होंने जमकर लोक निर्मान विभाग , विधायक और सांसद के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाये।अगर बीजेपी बाहुल्य क्षेत्र, गाँव के ये हाल हैं तो अन्य गावं की क्या स्थिति होगी आप खुद इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं।यही स्तिथि यहाँ पर स्वास्थ्य विभाग की भी है लोगों का कहना है की आज तक इस गाँव में स्वस्थ्य विभाग का कोई भी बड़ा अधिकारी नही आया है इस गाँव में स्वस्थ्य के नाम पर कोई भी सुविधा नहीं है । बीमार होने पर लोग बीमार व्यक्ति को कंधे और कुर्सियों पर लादकर नीचे अस्पताल में ले जाते हैं।सबसे बड़ी स्थिति तो तब ख़राब होती है जब किसी महिला के प्रसव की बात होती है और उसको रात में ही परिजनों द्वारा कंधो पर लादकर नीचे बेलेश्वर और पिलखी स्वास्थ्य केंद्र में पहुँचाया जाता है।
क्या ये मानव अधिकारों का हनन नहीं तो और क्या है और इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा,क्या जनप्रतिनिधि केवल केवल वोट बैंक के लिए स्वांग करते रहेंगे या सच में इन बीहड़ इलाकों में बसे लोगों का भी भला होगा। गाँव के चतर सिंह का कहना है की गाँव में स्वस्थ्य सुविधा के नाम पर तैनात एक मात्र एएनएम सरिता भी अपनी ड्यूटी ढंग से नहीं करती है और वो भी लोगों को टीकाकारन करने के लिए गावं से बाहर आधे रास्ते में बुलाती है ,कोई भी अधिकारी या कर्मचारी यहाँ पर अपनी सेवा देने नहीं आना चाहता है न ही शासन प्रशाशन और ना ही जनप्रतिनिधि इस और ध्यान दे रहे है।ये हाल तब है जब डबल इंजन की सरकार है विकास की तो भी खूब चर्चा हो रही हो खूब वायदे किये गए और किये जा रहे हैं लेकिन धरातल में सच कुछ और ही है| विकास किसका कहाँ और कितना हो रहा है ये देखने समझने वाली बात है। गाँव की महिलावों का कहना है की वे लोग आज भी पशु की तरह जिंदगी जीने को मजबूर हैं कोई भी उनका संज्ञान लेने नहीं आता है।लोक निर्माण विभाग घनसाली के इस सड़क की जिम्मेदारी संभाल रहे सहायक अभियंता कपिल कुमार का कहना ही बाकी बचे हुवे 5 किलोमीटर सड़क का बजट ईस्टमेट लगभग 7.05 करोड़ रुपये का बना के उन्होंने शासन को अगस्त माह में ही भेज दिया था पर अभी तक उसके बारे में कोई आदेश नहीं आये हैं।कैसे रुकेगा पलायन जब खुद यहाँ से चुने जाने वाले प्रतिनिधि ही यहाँ पर बसे लोगों की समस्यायों की सुध लेने नहीं आते हैं।सोचने वाली बात है की आखिर इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं ,क्या इनसे किये गए वायदे पूरे भी होंगे या सिर्फ इनका इस्तेमाल चुनाव में वोट के रूप में कर जितने के बाद जनप्रतिनिधि इनको किसी कोने में फेंक दे । एक तरफ क्षेत्रीय विधायक हर जगह कहते नजर आते हैं कि उनका क्षेत्र के विकास के लिए विजन और मिसन है लेकिन अगर एेसा विजन और मिसन है विधायक महोदय का तो उन्हें छोड़ देना चाहिए ऐसा मिशन जिसमे किसी का विकास ना हो |