
प्रद्युम्न हत्याकांड में एक और नया मोड़
गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में हुए प्रद्युम्न मर्डर केस में गिरफ्तार आरोपी बस कंडक्टर अशोक कुमार 76 दिनों तक हिरासत में रहने के बाद घर पहुंच गया. हाल ही में कोर्ट ने उसे जमानत दी है. अशोक कुमार ने रिहाई के बाद कहा, ‘मैं भगवान का शुक्रगुजार हूं कि उसने मुझे न्याय दिया. हमें न्यायपालिका पर पूरा विश्वास है.’भोंडसी जेल से रिहा किये जाने के बाद अशोक वहां से सीधे सोहना के घांबरोज गांव में अपने घर गया. उसके साथ उसके वकील मोहित वर्मा और परिवार के सदस्य थे. अशोक की पत्नी ने कहा कि पुलिस ने उसके पति को उल्टा लटकाकर मारा और टॉर्चर किया. उसने बताया कि अशोक से गुनाह कबूलवाने के लिए नशा भी दिया।
जानकारी के मुताबिक ग्राम प्रधान और अन्य निवासियों ने अशोक के पिता अमीरचंद को 50 हजार रुपये की जमानत राशि जुटाने में मदद की…पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि सात वर्षीय प्रद्युम्न की मौत कुछ ही मिनटों में बड़ी मात्रा में खून बहने के कारण हो गई थी. उसे गले में चाकू के दो घाव थे, इनमें से एक घाव काफी गहरा और गंभीर था. उससे उसकी सांस लेने वाली नली बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई और इसी कारण वह मदद के लिए चिल्ला नहीं सका था.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रजनी यादव की अदालत में कंडक्टर अशोक की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील ने जमानत याचिका का विरोध किया था और कहा था कि कुमार मामले में अब भी एक संदिग्ध है. प्रद्युम्न के पिता बरूण चंद्रा के वकील सुशील टेकरीवाल ने कुमार की जमानत रद्द करने के पक्ष में दलीलें दीं थी.