उत्तराखंडदेहरादून

फल-सब्जी वाले फुटकर विक्रेताओं पर नहीं रहा अब प्रशासन का नियंत्रन, मनमाने दाम बिक रही फल-सब्जियां

राजधानी देहरादून में फल-सब्जियों के दामों ने लोगों के मुंह का जायका बिगाड़ दिया है जिसकी खास वजह हैं "फुटकर विक्रेता"। दरसल देहरादून के फुटकर विक्रेता आम नागरिकों को यह बोलकर फल और सब्जियां मंहगे बेच रहें कि उन्होने थोक मंडी से ही माल अधिक दामों में उठाया है, जिस बात का हवाला देकर वे जनता से फल और सब्जियों के चौगुना दाम वसूल रहे हैं।

देहरादून में आजकल फल और सब्जियों के दाम लोगों की जेब पर जोरदार झटका दे रहे हैं। राजधानी में फल-सब्जियों के दामों ने शेयर मार्केट के नामी-गिरामी शेयर्स की भांति उछाल मारा है, जिनमे आलू, मटर, फूलगोभी, शिमला मिर्च, बीन, टमाटर, प्याज, सेब और अमरूद की भागीदारी सर्वाधिक रही। फल और सब्जियों के दामों पर हुई इस बेतहासा वृद्धि ने आम नागरिकों की कमर तोड़ दी है। अब एसे में जनता का सवाल यह है कि क्या फुटकर विक्रेताओं पर प्रशासन का अंकुश नंही है जो वे मनमाने दामों पर फल और सब्जियों को बेच रहे हैं। यूं तो थोक मंडियों में फल और सब्जियों के दामों पर लगातार बदलाव किए जाते हैं जिससे कभी बाजार तेज तो कभी मंदा देखने को मिलता है, लेकिन बीते कुछ दिनों से देहरादून में फल और सब्जियों के भाव ने खलबली मचा रखी है जिसका थोक मंडियों से दूर-दूर तक कोई वास्ता नंही है। फुटकर विक्रेता ग्राहकों की जेब निचोड़ने का एक भी मौका नंही छोड़ रहे हैं वो थोक मंडी के नाम पर फल और सब्जियों को एक या दो नंही बल्कि चौगुना दाम पर बेच रहे हैं जो आम नागरिकों की जेब पर भारी असर डाल रहा है।

दस दिन से एक ही कीमत

आसमान छूती सब्जियों में सबसे आगे फूल गोभी, शिमला मिर्च, बीन हैं जो कि अपने वास्तविक रेट से चार गुना अधिक दाम पर बेची जा रही है , इसके बाद आलू और मटर का नंबर आता है ये भी अपने वास्तविक रेट से दो गुना अधिक कीमत पर बिक रहे हैं। अगर बात सब्जियों की हो तो इसमें तड़का कहां पीछे रहने वाला है लिहाजा टमाटर को ढाई गुना और प्याज को तीन गुना अधिक कीमतों पर बेचा जा रहा है। वंही अगर फलों की बात करी जाए तो मौसमी फल सेब चार गुना और अमरूद दो गुना कीमत पर फुटकर विक्रेताओं के हाथों बेचा जा रहा है।

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आखिर इसका जिम्मेदार कौन

दरसल थोक मंडियों के दाम मंडी परिषद तय करता है लेकिन वर्तमान हालातों को देखकर लगता है कि फुटकर विक्रेताओं पर मंडी परिषद का कोई भी नियम लागू नंही होता। यूं तो फुटकर मंडियों पर रेट लिस्टिंग की जिम्मेदारी प्रशासन की है लेकिन कोरोना महामारी के बाद से प्रशासन और फुटकर विक्रेताओं के मध्य कोई भी संबंध दिखाई नंही पड़ते और यही कारण है कि फुटकर विक्रेता अपने मनमाने दामों पर फल और सब्जियों को बेच रहे हैं और चांदी काट रहे हैं। फल और सब्जियों के गगनचुंबी दामों पर मंडी सचिव अजय डबराल का बयान कुछ इस प्रकार है-” मंडी एक्ट के दायरे में फुटकर मंडियां नहीं आती है, इसलिए हम कार्रवाई नहीं कर सकते। मंडी परिषद का काम है थोक मंडी में कार्रवाई करना और किसानों को उचित दाम दिलाना।”  

आइये आपको बताते हैं कितना है थोक मंडी की कीमत और फुटकर मंडियों के दामों में फर्क

थोक मंडी की कीमत

आलू – 20 रुपये प्रति किलो प्याज – 20 रुपये प्रति किलो टमाटर 25 रुपये प्रति किलो फूल गोभी – 28 रुपये प्रति किलो मटर – 35 रुपये प्रति किलो बीन – 25 रुपये प्रति किलो शिमला मिर्च – 18 रुपये प्रति किलो गाजर – 15 रुपये प्रति किलो मूली – पांच रुपये प्रति किलो अदरक – 30 रुपये प्रति किलो सेब – 65 रुपये प्रति किलो अमरूद – 18 रुपये प्रति किलो

फुटकर मंडी – मोती बाजार

आलू – 40 रुपये प्रति किलो प्याज – 60 रुपये प्रति किलो टमाटर – 60 रुपये प्रति किलो फूल गोभी – 80 रुपये प्रति किलो मटर – 80 रुपये प्रति किलो बीन – 120 रुपये प्रति किलो शिमला मिर्च – 120 रुपये प्रति किलो गाजर – 60 रुपये प्रति किलो मूली – 30 रुपये प्रति किलो अदरक – 170 रुपये प्रति किलो सेब – 230 रुपये प्रति किलो अमरूद – 60 रुपये प्रति किलो

HNN 24x7 Desk

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