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राजधानी दून में स्मार्ट मीटर बने सर दर्द, इंतजार से त्रस्त हुए उपभोक्ता….प्रक्रिया में हो रहीं अनियमितताएं

राजधानी देहरादून में स्मार्ट मीटर स्वयं में अनियमित समस्याओं को लेकर आमजन में रोष का केंद्र बने हुए हैं। उपभोक्ताओं का आरोप है कि राजधानी में नए कनेक्शन लेने पर स्मार्ट मीटर को लगने में 10 से 15 दिन का समय लग रहा है। उन्हे दी जा रही सीलिंग पर संबंधित अवर अभियंता के हस्ताक्षर नहीं है बल्कि कंपनी प्रतिनिधियों द्वारा स्वंय ही हस्ताक्षर किए जा रहे हैं, जो कि नियमाविरुद्ध हैं।

राजधानी में स्मार्ट मीटर बने सर दर्द

          राजधानी देहरादून में स्मार्ट मीटर स्वयं में अनियमित समस्याओं को लेकर आमजन में रोष का केंद्र बने हुए हैं। उत्तराखंड में स्मार्ट मीटर को बढ़ावा देने के लिए भले ही राज्य सरकार ने पुरजोर समर्थन दिया हो लेकिन धरातलिय स्थिति यह है कि स्मार्ट मीटर को लेकर लगातार शिकायत आय दिन सामने आ रही हैं। दरअसल, राजधानी देहरादून में नए बिजली कनेक्शन लेने पर ऊर्जा निगम द्वारा स्मार्ट मीटर लगाने की व्यवस्था करी गई है लेकिन, उपभोक्ताओं का आरोप है कि राजधानी में नए कनेक्शन लेने पर स्मार्ट मीटर को लगने में 10 से 15 दिन का समय लग रहा है। उपभोक्ताओं का कहना है कि नियमानुसार तो स्मार्ट मीटर को भुगतान के तीन दिन के भीतर लग जाना चाहिए लेकिन, ऐसा नहीं हो पा रहा है। वहीं उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) की नई स्मार्ट मीटर व्यवस्था को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता एवं पूर्व उपप्रधान आरकेडिया प्रेमनगर गीता बिष्ट ने ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक को एक शिकायती पत्र भेज व्यवस्था में सुधार करने करने का अनुरोध किया, जिसमें उल्लेखित है कि गत 24 अप्रैल 2025 को ही निदेशक परिचालन मदन राम आर्य की ओर से नए कनेक्शन एवं अन्य संयोजनों पर स्मार्ट मीटर लगाने के निर्देश जारी किए गए थे लिहाजा, उक्त आदेश के अनुपालन में मुख्य अभियंता वितरण, गढ़वाल मंडल ने समस्त उपखंड अधिकारियों को स्मार्ट मीटर अनिवार्य रूप से लगाने के आदेश दिए थे। परंतु समस्या जस की तस बनी हुई है, स्मार्ट मीटर के फिटमेंट में 10 से 15 दिनों का समय लेने के कारण उपभोक्ताओं को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।        

इंतजार से त्रस्त हैं उपभोक्ता

          गत 1 जून 2025 से ही उत्तराखंड ऊर्जा निगम की ओर से यह व्यवस्था लागू कर दी गई थी कि राज्य में अब नए कनेक्शन लेने पर स्मार्ट मीटर ही इंस्टॉल किए जाएंगे, वहीं ऊर्जा निगम के ही नियमानुसार स्मार्ट मीटर भी भुगतान करने के तीन दिन के भीतर लगाने होंगे। मगर धरातलिय सत्य तो यह है कि उपभोक्ता से पैसे लेने के बाद भी नामित कंपनी की ओर से 10 से 15 दिन तक भी स्मार्ट मीटर नहीं लगाए जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग का ही आदेश है कि शहरी क्षेत्रों में तीन दिनों के भीतर नया कनेक्शन उपलब्ध कराना अनिवार्य है। लिहाजा सामाजिक कार्यकर्ता गीता बिष्ट ने प्रबंध निदेशक से अनुरोध किया है कि जब तक प्रत्येक डिवीजन और उपखंड कार्यालय में पूर्ण संसाधन और स्टाफ उपलब्ध नहीं करवाए जाते तब तक ऊर्जा निगम पुरानी मीटर व्यवस्था को ही लागू रखे।          

प्रक्रिया में हो रहीं अनियमितताएं

            स्मार्ट मीटर को लेकर उपभोक्ताओं ने एक और आरोप लगाते हुए कहा कि बागनीमत जिन उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर प्राप्त हुए भी हैं तो उसमे भी उन्हे दी जा रही सीलिंग पर संबंधित अवर अभियंता के हस्ताक्षर नहीं है बल्कि कंपनी प्रतिनिधियों द्वारा स्वंय ही हस्ताक्षर किए जा रहे हैं, जो कि नियमाविरुद्ध हैं। यदि भविष्य में उपभोक्ता किसी विवाद के तहत न्यायालय की शरण लेते हैं तो निगम को कानूनी संकट का सामना करना पड़ सकता है।                            
लेखक- शुभम तिवारी (HNN24X7)

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