
रेफर सेंटर बना उत्तरकाशी जिला चिकित्सालय
जला चिकित्सालय उत्तरकाशी कई अनेक असुविधाओं को लेकर बदहाल पड़ा हुआ है यहां तक कि सीमांत जनपद उत्तरकाशी विगत कई सालों से अनेक समस्याओं से जूझ रहा है। अलाम यह कि उत्तरकाशी जिला चिकित्सालय मरीजों के लिए केवल एक रेफर सेंटर बना हुआ है। चिकित्सालय में न्यूरो सर्जन नहीं है,पेथौलोजिस्ट नहीं है। ई0 एन0 टी0 सर्जन नही है,लेडी सर्जन नहीं है
उत्तरकाशी जिला चिकित्सालय कई सालों से यहां पर डाक्टर की तो कमी है ही मगर बुनियादी सुविधाओं को लेकर यहां स्थिति जस की तस बनी हुयी है उत्तराखण्ड को बने हुये 17 साल बीत गये मगर मंत्री हो या मुख्यमंत्री केवल कोरी घोषणाओं के अलाव कुछ भी नही करते है नजाने उत्तराखण्ड में कितने गांव ओर कितने कस्बे होगें जो आज अपने आपको ठगा सा महसूस करते होगें । जी हां उत्तरकाशी चिकित्सालय में असुविधाओं को लेकर कई मौतें हो चुकी है मगर प्रशासन ओर सरकार इस ओर कोई भी कदम उठाने में विफल रही है। बता दे कि दवाईयां भी मरीज को बाहर से लानी पड़ती है और जिला अस्पताल में केवल गिनी चुनी दवाईयां ही मिल पाती है आलम यह है कि चिकित्सालय में अनेक ऐसी असुविधाएं है जिनको लेकर हर तबके का व्यक्ति कई सालो से परेशानी का सबब झेलने को विवश है। यहां तक इस चिकित्सालय में ऐसी कोई भी सुविधा नही है जिसको लेकर मरीज राहत कि सांस ले सके ।
इस चिकित्सालय की खस्ताहाल व्यवस्था 17 सालों में आज तक नहीं बदली ओर यहां मरीज रास्तें में ही दम तोड़ देते है यह हाल है उत्तरकाशी सींमात जनपद जिला चिकित्सालय उत्तरकाशी की कई गरीब तबके के मरीज मुख्यालय तो पहुंच जाते है मगर अस्पाताल की लचर व्यवस्थायें लेकर अपने आपको डगा सा महसूस करते है। प्रसव वाली महीलाओं का ओर भी बुरा हाल है ओर बुनियादी सुविधा न मिलने पर ही यहां दम तोड़ देती है आखिर कई साल बीत जाने के बाद भी पहाड़ी क्षेत्रों में चिकित्सा का बुरा हाल क्यों है।
सरकार अपने हर विकास को लेकर बड़े- बड़े दावे करती है और यहां हर तबके का व्यक्ति रास्ते में ही दम तोड़ देता है आखिर सरकार के ये दावें जनता के समाने खोखले साबित होते है और हर जिला या गांव नजाने कितने वर्तमान की असुविधाओं को लेकर आपने आपको असुरक्षित महसूस करते है। जिला चिकित्सालय की ये तस्वीर उत्तराखण्ड के हर जिले में बदलनी चाहिए ताकि समाज को नया आयाम ओर बेहतर सुविधा मिल सके । जिससे लोगों को देहादून राजधानी में न जाना पड़े क्योंकि अगर सुविधाएं हर जिले में मिले तो मरीज राजधानी क्यों जाए ।