
विद्युत विभाग के कर्मचारियों ने फिर कियाआंदोलन का एेलान
उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश बनाने का लाख दावा किया जा रहा है लेकिन प्रदेश में ऊर्जा प्रदेश के सपने को साकार करने की जिम्मेदारी जिन काबिल कंधों पर है वह अपने हक हकूक की लड़ाई के लिए प्रदेश को कभी भी ब्लैक आउट होने पर मजबूर कर सकते हैं।
इस बार ऊर्जा प्रदेश का सपना चकनाचूर इसलिए हो रहा है, दरअसल उत्तराखंड की मौजूदा सरकार और उसके मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ सबसे पहले प्रदेश में ऊर्जा महकमे के कर्मचारियों को देने का आश्वासन दिया था। जिसके बाद कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री का शुक्रिया भी अदा किया था, लेकिन जैसे ही कर्मचारियों को सातवें वेतनमान की सिफारिशों से लागू हुआ। वेतन मिलने लगा तो उसमें कई प्रकार की दुश्वारियां सामने आने लगी और विद्युत विभाग के कर्मचारियों को पहले के मुकाबले कम वेतन मिलने लगा जिससे नाराज होकर सभी कर्मचारियों ने पूरे प्रदेश में आंदोलन करने का ऐलान कर दिया और इतना ही नहीं सांकेतिक रूप से शाम 5 बजे के बाद अपने मोबाइल फ़ोन स्विच ऑफ करने शुरू कर दिए ताकि किसी से भी कोई वार्तालाप ना किया जाए यानि इस बीच अगर कोई भी फॉल्ट बिजली विभाग की ओर से आता है तो उसकी कोई भी शिकायत कर्मचारी नहीं सुनेंगे इतना ही नहीं बिजली विभाग के तमाम कर्मचारियों ने मौजूदा सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनके पे मैट्रिक्स और एसीपी का लाभ उन्हें सही समय पर नहीं दिया गया तो वह आगामी 5 जनवरी से बेमियादी हड़ताल पर चले जाएंगे।
इतना ही नहीं जहां विद्युत विभाग के कर्मचारी राज्य सरकार पर पे मैट्रिक्स का लाभ सही तरीके से नहीं देने का आरोप लगा रहे हैं तो वही शासन में बैठे ऊर्जा सचिव ने कर्मचारियों को नसीहत के साथ ही एस्मा लगाने का आदेश भी जारी कर दिया यानी प्रदेश में आगामी 6 महीनों तक बिजली विभाग के कर्मचारी कोई भी हड़ताल या आंदोलन नहीं कर सकेंगे इतना ही नहीं ऊर्जा सचिव राधिका झा ने कहा कि अगर कर्मचारी जनहितों को देखते हुए अपने आंदोलन को वापस नहीं लेंगे और बेमियादी हड़ताल पर चले जाएंगे तो एस्मा के तहत उन पर सख्त कार्यवाही की जाएगी आप को यह भी बता दें ऊर्जा सचिव राधिका झा ने कहा है की सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को पे मैट्रिक्स के हिसाब से सभी कर्मचारियों को दे दिया जाएगा लेकिन उसके बाद भी कर्मचारी अगर हड़ताल करेंगे तो उन पर सख्त कार्यवाही की जाएगी।
ऊर्जा प्रदेश बनने के सपने को शासन के आला अधिकारी और बिजली विभाग के कर्मचारियों के बीच आपसी सामंजस्य ना होने के कारण चकनाचूर किया जा रहा है जहां एक ओर बिजली कर्मचारी राज्य कर्मचारियों से इतर पे मैट्रिक्स का लाभ लेने में अब तक कामयाब रहे हैं वही मौजूदा सरकार के शासन में बैठे अधिकारियों ने ऐसा नियम बिजली विभाग के कर्मचारियों पर लागू किया जिससे उनका वेतन पहले के मुकाबले कम हो गया और अब ऐशमा लगा कर बिजली विभाग के कर्मचारियों को आंदोलन न करने की चेतावनी भले ही शासन की ओर से दी गई हो लेकिन इस आदेश के बाद कर्मचारियों में खासा रोष बढ़ गया है जिससे कभी भी प्रदेश में ब्लैक आउट की समस्या खड़ी हो सकती है इसके लिए सरकार ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था अभी तक शुरू नहीं की है।