
संस्कृत भाषा है भारत वर्ष की पहचान
समाज में लोग जहां आंग्ल भाषा के पीछे दौड़ लगा रहे है और अंग्रेजी भाषा को बोल-चाल में लाने वा सिखने सिखाने की कवायद में लगे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर अपनी प्राचीन पौराणिक भाषा संस्कृत भाषा को लोग लगभग भूलते जा रहे है और बहुत कम लोग हैं जो संस्कृत भाषा को बोलना व सीखना चाह रहे हैं, लेकिन समय – समय पर संस्कृत विद्यालयों व कुछ गिने चुने लोगों के प्रयासों से कभी कभार किये गए संस्कृत ज्ञान प्रतियोगिता संस्कृत भाषा प्रतियोगिता जैसे कार्यक्रमों को करवाए जाने से लोगों के बीच इस भाषा का महत्व और संस्कार जिन्दा हैं | संस्कृत एक भाषा ही नहीं बल्कि उत्तराखंड की पहचान है भारत वर्ष की पहचान है | आपको बता दें कि इसी तरह की प्रतियोगिता के चलते देवप्रयाग क्षेत्र में ब्लाक स्तरीय संस्कृत छात्र प्रतियोगिता का राजकीय संस्कृत विद्यालय आमणी में आयोजन किया गया जिसमे लगभग 15 विद्यालयों से आये बच्चों ने प्रतिभाग किया देवप्रयाग के विधायक विनोद कंडारी बतौर मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शामिल थे। जिसमे उन्होंने बच्चों को अन्य भाषाओं के साथ साथ संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने और इस भाषा में रूचि बढ़ाने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित भी किया | प्रतियोगिता में छात्र-छात्राओं द्वारा संस्कृत गीत, श्लोक जैसी सुंदर प्रस्तुतियां दी गई और खण्ड संयोजक राजेन्द्र प्रसाद नौटियाल के द्वारा प्रतियोगिता का सफल संचालन किया गया |