
सदन में रखे गए ट्रांसफर एक्ट और लोकायुक्त
जीरो टालरेंस का दावा करने वाली सरकार ने आखिरकार गुरुवार को लोकायुक्त और ट्रांसफर एक्ट का ड्राफ्ट सदन के पटल पर रख दिया। ये दोनों ही विधेयक प्रवर समितियों की सिफारिशों के साथ रखे गए हैं। हालांकि इन बिलों को सदन के पटल पर रखे जाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल ने विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी। लोकायुक्त बिल में लोकायुक्त के तैनाती तीन साल के लिए करने कि सिफारिश की गई है। वहीं किसी भी लोकसेवक के खिलाफ लोकायुक्त तभी जांच करेगा जब पांच में से चार सदस्य इसका अनुमोदन करेंगे। लोकायुक्त बिल और ट्रांसफर बिल के सदन में रखे जाने से विपक्ष के नेताओं ने नाराजगी जताई। उनका कहना है कि सरकार ने बिना बैठक में बताये इन दोनों बिलो को सदन में रखा है जो सदन की परंपरा के खिलाफ है। वहीं सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि विपक्ष की मौजूदगी में ये दोनों बिल सदन में रखे हैं और विपक्ष सरकार पर बेबुनियाद इलज़ाम लगा रहा है जो सही नहीं है जबकि हमने इनको सदन के पटल पर रखा है, अब अगले सदन में इन पर चर्चा के बाद इन्हें पास किया जायेगा। जीरो टालरेंस अंगेस्ट करप्शन का दावा कर रही त्रिवेंद्र सरकार के लिए ये दोनों ही बिल सरकार बनने के सौ दिनों के भीतर पेश करने का दबाव था। सरकार के पहले विधानसभा सत्र में ये बिल प्रवर समिति को सौंप दिए गए थे। इसके बाद बजट सत्र में प्रवर समिति के प्रतिवेदन के साथ इन दोनों बिलों को सदन के पटल पर रख दिया। हालांकि इन दोनों ही बिलों पर चर्चा अब अगले विधानसभा सत्र में ही हो पाएगी। इसके बाद ही ये दोनों बिल पास हो पाएंगे।