सरकारी दावों कि पोल खोलता चम्पावत का सरकारी अस्पताल
जहां एक ओर प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने की बात प्रशासन करता है तो वहीं उनके इन दावों की पोल सरकारी अस्पताल खोलते नजर आते हैं. इसकी तस्दीक चंपावत जिला अस्पताल करता नजर आता है जहां अस्पताल प्रशासन मरीजों को ज्यादातर दवाईयाँ मुफ़्त देने का दावा करता है लेकिन हकीकत कुछ और ही तस्वीर बयां करती है. इस अस्पताल में हर रोज अमीर और गरीब अपने इलाज के लिए पहुंचते हैं. लेकिन सरकार द्वारा बीपीएल क्रमांक धारक के लिए यह अस्पताल आर्थिक बोझ बढ़ाने वाला साबित हो रहा है. इस अस्पताल में आने वाले मरीजों के हाथों में जो दवाई का पर्चा डॉक्टर थमा रहे हैं उनमें से अधिकतर दवाओं को अस्पताल के बहार मेडिकल स्टोरों से मरीजों को खरीदना पड़ रहा है. इसमें ऐसी जैनरिक दवाईयां भी हैं जो मरीजों को अस्पताल में चाहिए लेकिन, मिलती हैं तो सिर्फ मेडिकल स्टोरों में. ऐसे में अब लोगों में अस्पताल प्रशासन के खिलाफ आक्रोश दिखने लगा है. वहीं इस मामले पर सीएमओ और डॉक्टर का कहना है कि मरीजों को सभी दवायें अस्पताल में मिलती हैं. साथ ही वह अस्पताल में 90 % जैनरिक दवा होने का दावा कर रहे हैं… यही नहीं उनका कहना है कि दवाई खत्म होने पर डिमांड भी जल्द ही भेज दी जाती है.