
सालों बीत जाने पर भी नहीं बन पाया नलूणा पुल
उत्तरकाशी मुख्यालय से महज 17 किलोमीटर दूर नालूणा में निमार्णधीन पुल का कार्य घाटिया गुणवत्ता को साफ दिखा रहा है। बता दें कि वर्ष 2012-13 की महाविनासकारी बाढ़ से यह पुल आपदा की भेंट चढ़ गया था । और उस समय से लेकर करीब 5 वर्ष बीत जाने पर भी यह पुल अभी तक नहीं बन पाया और लोग आज भी रस्सियों को खींच कर उस पार अपने गांव जाते है। ऐसे उत्तरकाशी जनपद में न जाने कितने गांव है जो आज भी रस्सियों के सहारे अपने गांव जाने को विवश है। आलम यह है कि पुलों का निर्माण तो पांच सालों से नहीं हो पाया परन्तु ठेकेदारों द्वारा व विभागीय कर्मचारियों की मिली भगत से पुलों पर घाटिया तरीके से कार्य करना साफ दर्शाता है कि किस तरह से सरकारी रूपये की बदर- बांट होती है। ट्राली से आते – जाते वक्त कई लोगों की हाथ की अगूलियां भी कट चुकी है।बता दें कि अभी वर्तमान समय में गंगा का जलस्तर कम है और ग्रामीण लकड़ी की पुलिया से अपने गांव जा रहे हैं जिस प्रकार मानकों को ताक पर रख इस पुल का निर्माण हो रहा है इसको देखते हुए यहां के ग्रामीणों में काफी आक्रोश है। ग्रामीणों का मनना है कि उनका मुख्य मार्ग यही है और हमारी जो आजीविका है वह कृषि है जिनमें मुख्य रूप से आलू राजमा हैं और जब से यह पुल आपदा की भेंट चढ़ा है करीब 5 सालों से हमारी आजीविका पर इसका काफी बुरा असर पड़ा है।
पुल का निर्माण कार्य विश्व बैंक के माध्यम से तथा कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग उत्तरकाशी बिलडरों के माध्यम से करा रहे है। पुल का निर्माण कार्य प्रारम्भ 22-6-2016 से किया गया है और पूर्ण होने की तिथि 21- 9-2017 अब आप कार्य को देख कर अंदाजा लगा सकते हैं क्या पुल निर्माण निर्धारित समय में तैयार हो पायेगा अब देखने वाली बात यह है कि क्या ग्रामीण लोग रस्सी के सहारे जिन्दगी को कब- तक खिंचते रहेगें । पुल निर्माण के लिए बजरी, रोड़ी इत्यादि बाहर से आना था वह साम्रागी वहीं से एकत्रित कर रहे हैं जिसमें मिट्टी की मात्रा अधिक होने की सम्भावना है