
सिन्धुघाटी सभ्यता से जुड़ा बताया जा रहा है गढ़वाल के इस मंदिर को
यूँ तो उत्तराखड में हर चार पग पर कोई ना कोई मंन्दिर है लेकिन आज HNN24x7 आपको एक ऐसे मंन्दिर की दास्तां से रूबरू करवायेंगे जिसे सीधे सिंन्धुघाटी की सभ्यता से जोड़ा जाता है। बात करते हैं धनोल्टी तहसील के अंर्न्तगत पट्टी पालीगाड के ग्राम पंचायत ओंतड में नाग देवता मंन्दिर की। जिसके इतिहास का आज तक कोई सुराग नहीं लग पाया है।यह मंदिर कब और किसने बनाया है यह अभी तक ज्ञात नहीं हो पाया है। हालाँकि हजारों वर्षों के इतिहास को संजोए हुए अनेक शिलालेख मंदिर परिसर में मौजूद हैं लेकिन उनको अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।इन शिलालेखों की लिपि ब्राह्मी लिपि से मिलती-जुलती प्रतीत होती है ।यह मंन्दिर विशालकाय शिलाओं और लकड़ियों से मिलकर बना है।मंदिर की वास्तुकला कमाल की है, मंदिर की दीवारों को लकड़ी के सांचों में कसा गया है जिनकी बदौलत यह मंदिर आज तक तमाम आपदाओं के बावजूद सुरक्षित है। इस मंन्दिर में शेषनाग की एक प्राचीन मूर्ती भी है जिसकी पूजा प्राचीन काल से ही होती आ रही है।इस मंदिर के सिन्धुघाटी सभ्यता से जुड़ा माना जा रहा है हालाँकि वास्तविक रहस्य का उद्घाटन तो तभी हो सकेगा जब पुरातत्वविद इसका अध्ययन करें। यह मंदिर एक अनमोल धरोहर के रूप में उपलब्ध है लेकिन आज तक सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नही दिया है।इस मंदिरर अब समय का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देने लगा है अतः इसे शीघ्र संरक्षित करने की जरुरत है.