राजद्रोह के आरोप में जिला जेल में बंद कश्मीर के तीनों छात्रों के केस की पैरवी का निर्णय ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन ने लिया है। इस संबंध में आगरा शाखा के सदस्य अधिवक्ता अरुण सोलंकी, सुरेंद्र लाखन, अमीर अहमद, शैलेंद्र रावत और सतीश भदौरिया ने बैठक कर संयुक्त बयान जारी किया है।
अधिवक्ताओं ने कहा कि समस्त अधिवक्ता गण अधिवक्ता अधिनियम के नियमों और पेशे के सिद्धांतों के अधीन अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। ये नियम और सिद्धांत किसी भी अधिवक्ता संगठन या समूह को इस बात की इजाजत नहीं देते कि वे सामूहिक रूप से ये निर्णय लें व अन्य अधिवक्ताओं को बाध्य करें कि वे किसी अभियुक्त की न्यायालय में पैरवी नहीं करें। व्यक्तिगत रूप से किसी भी अधिवक्ता को ये अधिकार है कि वह किसी की पैरवी करने से इंकार कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट भी इस संबंध में निर्णय पारित कर चुका है। प्रत्येक अभियुक्त को विधिक सहायता प्राप्त होना, उसका विधिक अधिकार है।
उन्होंने कहा कि इसमें किसी को बाधा डालने का अधिकार प्राप्त नहीं है। कुछ अधिवक्ताओं ने जो निर्णय लिया है कि वे इन छात्रों की पैरवी नहीं करेंगे, वह गलत और दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्हें इस बात का अधिकार प्राप्त नहीं है। उनका ये कृत्य पेशे के सिद्धांतों और गरिमा के प्रतिकूल है। यदि इन छात्रों की ओर से हम लोगों को पैरवी के लिए अधिवक्ता नियुक्त किया जाता है तो हम लोग और अन्य तमाम अधिवक्ता साथी उनकी ओर से न्यायालय में पैरवी के लिए तैयार हैं।
बता दे की पाकिस्तान क्रिकेट टीम की जीत पर कश्मीरी छात्र अरशीद यूसुफ, इनायत अल्ताफ शेख और शौकत अहमद गनी ने व्हाट्सएप पर स्टेट्स लगाया था। आरोप है कि उन्होंने पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाया। देश विरोधी नारेबाजी की। कश्मीर के बड़गाम और बांदीपोरा के रहने वाले तीनों छात्र आगरा के एक कॉलेज में पढ़ते हैं। मामला सामने आने के बाद कॉलेज प्रबंधन ने तीनों को निलंबित भी कर दिया था।