उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रहते प्रदेश के गांव में बनेगा उद्योग और प्रवासीयों को रोजगार मिलेगा ।
सरकार के इस निर्णय पर यूपी को आत्मनिर्भर बनाने का एक बड़ा कदम उठाया है।
इस फैसले के चलते यूपी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को भी आगे बढ़ाने का अच्छा मौका है।
जिसके तहत गांव में औद्योगिक श्रेणी को प्रतिष्ठा करने में आसान होगा।
उत्तर प्रदेश को औद्योगिकरण और रोजगार का मौका दिलाने के लिए सरकार आने वाले साल
में 20 लाख का नया एमएसएमई को वित्त अभिलाषित लक्ष्य को लेकर चल रही है।
इस लक्ष्य को सम्पूर्ण करने के लिए सबसे जरूरी होगा की उद्योगीक नीतियों को आसान बनाया जाए।
इस योजना को सफल करने के लिए बीते 23 दिसंबर 2020 को यूपी सरकार ने कैबिनेट बाय
सर्कुलेशन के तहत खेती की जमीन को गैर कृषि भूमि साबित करने के लिए चारदीवारी की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है।
योगी सरकार के ऐसे करने का कारण है कि प्रदेश में निवेश को आगे बढ़ाना है।
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा-80 की उपधारा (2) में खेती की जमीन
को गैर कृषि भूमि साबित करने के लिए चारदीवारी का होना अनिवार्य था।
इस कानून के जरिए जो व्यक्ति अगर साढ़े 12 एकड़ से ज्यादा खेती जमीन पर उद्योग करते हैं
और व्यवसायिक गतिविधियों के लिए उसका जमीन इस्तेमाल करते हैं
तो उस पर चारदीवारी का निर्माण कराना जरूरी था ।
और इस नियम के बिना लैंड यूज बदलना संभव नहीं था।
इसके वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में कम उद्यम लग रहे थे और
निवेशकों को मुश्किल का सामना करना पर रहा था।
सरकार की शर्त
सरकार इस नीति को खत्म करने के साथ ही कुछ शर्तों को भी जोड़ा है।
इस काम के लिए कृषि भूम का भू उपयोग बदल दिया जाएगा
और निवेशक को कार्य पांच साल के अंदर शुरू करना जरूरी होगा।
सरकार के मुताबिक इस फैंसले के बाद अब बड़े जोरो शोरो से गांव में
छोटे बड़े उद्योग लगेंगे और ग्रामीणों को रोजगार भी मिलेंगे।
इस निर्णय से सूबे का एमएसएमई सेक्टर भी काफी अच्छा बनेगा।
औद्योगिक संगठनों से जुड़े हुए बड़े उद्यमियों का कहना है
कि सरकार ने जो फैंसले लिए उससे ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि उत्पाद
और पशुधन से जुड़े उद्यम लगाने के लिये लोग आगे निकल कर आएंगे।
जिससे रोजगार भी बढ़ेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती भी मिलेगी।
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