
धर्म परिवर्तन कर इस्लाम या ईसाई अपनाने वाले दलित
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों से चुनाव नहीं लड़ सकते है।
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को राज्यसभा में एक प्रश्र्न
के जवाब में बताया कि ऐसे लोग अनुसूचित जाति को मिलने वाले आरक्षण का
भी फायदा नहीं उठा सकते हैं।
हालांकि हिंदू, सिख या बौध्द धर्म को मानने वाले दलित
अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटों से चुनाव लड़ सकते हैं
और आरक्षण का लाभ ले सकते हैं।
रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में बीजेपी सांसद जीवीएल
नरसिंह राव के आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों में पात्रता के सवाल पर
पूछे गए सवालों के जवाब में यह जानकारी दी।
आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों के सवाल पर कानून मंत्री ने बताया,
संविधान आदेश, का पैरा-3 अनुसूचित जातियों की राज्यवार
सूची को परिभाषित करती है। इसके अंतर्गत कोई व्यक्ति जो हिंदू,
सिख या बौध्द धर्म से अलग धर्म मानता है,
अनुसूचिट जाति प्रमाण पत्र के साथ कोई भी व्यक्ति आरक्षित स्थानों से चुनाव लड़ने के लिए योग्य है।
जीवीएल नरसिंह राव ने सरकार से सवाल पूछा
जीवीएल नरसिंह राव ने सरकार से यह भी सवाल पूछा कि
क्या सरकार लोक प्रतिनिधित्व कानून और निर्वाचन नियमावली
में कोई संशोधन पर विचार कर रही है जिसमें यह स्पष्ट
रुप से उल्लेख हो कि ईसाई या इस्लाम में धर्मपरिवर्तन करने वाले
दलित आरक्षित सीटों से चुनाव लड़ने के योग्य नहीं हो।
इस पर सरकार ने जवाब दिया कि नहीं,
फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव सरकार ने जवाब दिया कि नहीं,
फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं है।
लोक प्रतिनिधित्व कानून,1951 की धारा-4 के अनुसार,
राज्य में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित स्थान की दिशा में,
संसद का चुनाव लड़ने के लिए वह उस राज्य की या किसी का सदस्य होगी।
वहीं धारा-5 के अनुसार, राज्य में आरक्षित सीट से विधानसभा चुनाव
लड़ने के लिए उस राज्य की किसी अनुसूचित जाति का सदस्य होना अनिवार्य है।
संध्या कौशल