किसानों द्वारा नए तीन कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली सीमाओं पर विरोध कर रहे किसान संगठनों और सरकार के
बीच मंगलवार को साढ़े तीन घंटे से अधिक देर तक चली बैठक विफल रही। सरकार ने कृ़षि कानूनों पर
चर्चा के लिए किसान समिति के गठन का प्रस्ताव दिया, जिसे किसान संगठन प्रतिनिधियों ने ठुकरा दिया।
हालांकि, गतिरोध समाप्त करने को लेकर अगली बैठक गुरुवार को बुलाई जाने पर सरकार व किसान संगठनों में सहमति बन गई है।
अगली बैठक में आंदोलन में शामिल सभी किसान संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। सरकार इस पर राजी है।
विज्ञान भवन में बैठक समाप्त होने के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पत्रकारों को बताया कि
बैठक में 30 से अधिक किसान संगठनों के 35 प्रतिनिधियों ने शिरकत की।
बातचीत सकारात्मक रही। सरकार ने किसान संगठन के प्रतिनिधियों के सामने मुद्दे पर बातचीत के लिए एक
किसान समिति गठित करने का प्रस्ताव रखा। इसमें चार से पांच किसान संगठन के प्रतिनिधि,
कृषि विशेषज्ञ व कृषि मंत्रालय के अधिकारी रहेंगे, जिससे तीनों कृषि कानून के बारे में चर्चा की जा सके,
लेकिन किसान संगठन के प्रतिनिधि इसके लिए तैयार नहीं हुए। संगठन के प्रतिनिधियों का कहना था कि
आंदोलन में शामिल सभी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा होनी चाहिए।
और तेज होगा किसानों का आंदोलन
कृषि कानून के खिलाफ राजधानी की सीमाओं पर चल रहा किसानों का आंदोलन और तेज होगा।
केंद्र सरकार के साथ मंगलवार को बातचीत विफल होने के बाद नए कानून का विरोध कर रहे किसान
संगठनों का कहना है कि उनका आंदोलन और तेज होगा।
आंदोलन को और तेज करने के लिए बुधवार को पंजाब, हरियाणा से और अधिक किसान दिल्ली आएंगे।
इसके अलावा मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से भी किसान आंदोलन में शामिल होने आ सकते हैं।
सरकार से वार्ता विफल होने के बाद ऑल इंडिया किसान समनवय समिति के प्रवक्ता आशुतोष ने कहा,
‘जबतक मांगे नहीं मान ली जाती, तबतक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि 3 दिसंबर को भी सरकार के साथ हमारी वार्ता है और
उम्मीद करते हैं कि उसमें सरकार किसानों की मांग को पूरा करते हुए कानून को वापस लेगी।’
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने ट्वीट कर कहा
टिकरी, झारोद बॉडर किसी भी तरीके के ट्रैफिक मूवमेंट के लिए बंद रहेंगे,
साथ ही साथ बदुसराय बॉडर केवल लाइट मोटर वहानों जैसे कारों और दो पहिया वाहनों के लिए ही खुला है।
झटीकरा बॉर्डर भी सिर्फ दो पहिया वहानों के लिए खुला है।
- शिवम वालिया
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