Lohri पर्व खुशी और उल्लास के साथ मनाया जाता है। वैसे तो यह पंजाब और हरियाणा का
त्यौहार है, लेकिन इस त्यौहार को उत्तर भारत के साथ- साथ अन्य देशों में भी मनाया जाता है।
इस त्यौहार को किसानों का नया साल भी माना जाता है।
Lohri मक्रर संक्राति से पहले दिन मनाया जाता है।
कैसे मनाई जाती है Lohri
Lohri का त्यौहार नवविवाहित जोड़ों या घर में किसी नए बच्चे के आने के कारण भी
मनाया जाता है। इस त्यौहार में लोग आग जलाकर इसके आसपास नाचते है, आग में गुड़,
रेवड़ी, मूंगफली और गजक एक दुसरे को बांटी जाती है। लोग एक दूसरे के घरों में जाकर
Lohri की शुभकामनाएं देते हैं। इस दिन बड़े बुजुर्ग बच्चों को पुरानी कहानियां सुनाते है
जिनमें प्रसिध्द दोलहा भट्टी की कहानी, होलिका और लोहड़ी की कहानी सुनाई जाती है।
Lohri पर आधारित तीन पौराणिक कथा
1. दक्ष पुत्री सती
पौराणिक कथाओं के अनुसार Lohri में राजा दक्ष की पुत्री सती की याद में आग जलाई जाती है।
कथा के अनुसार राजा दक्ष ने एक यज्ञ रखा था जिसमें सारे देवी देवाता आदि जन शामिल थे।
लेकिन राजा दक्ष ने अपनी बेटी सती और दामाद शिव को इस यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया।
ऐसा पूछने के लिए माता सती जब अपने पिता के यहां आईं तो उनके पिता ने भरी सभा में शिव
की निंदा की। जिस कारण माता सती को क्रोध आया और वहां प्रज्वालित यज्ञ की आग में उन्होंने
अपना शरीर त्याग दिया। जिससे क्रोधित होकर शिव भगवान वहां आए और माता सती के पिता
द्वारा अयोजिच यज्ञ को विध्वंस कर दिया। इस लिए Lohri का त्यौहार मनाया जाता है ,
ताकि किसी भी बेटी के साथ ऐसा अन्याय ना हो और साथ ही Lohri के दिन घर में
बेटी और दामाद को बुलाया जाता है।
2.अनाज की कटाई बुआई
Lohri के त्यौहार को पंजाब में फसल काटने के दौरान मनाया जाता है।
फसल काटने के बाद किसानों की आमदनी होती है और घर में खुशियां आती है।
जिसमें किसान गुड़, मूगफली, तिल आदि का अरपण अग्नि देवाता को समर्पित किया जाता है।
3.दुलहा भट्टी
Lohri दुलहा भट्टी की कहानी के बिना अधूरी है। इतिहास के अनुसार यह कथा बादशाह अकबर
से जुड़ी हुई है। बादशाह अकबर के शासन काल में दो सुंदरी हुआ करती थीं।
उन दोनों का नाम सुंदरी और मुंदरी थी दोनों बहनें अनाथ थी।
इन दोनों को उनके चाचा बिना शादी के राजा को भेंट करना चाहता थे।
उसी समय नेक दिल डाकू दुलहा भट्टी ने चाचा के चंगुल से दोनों को बचाया और
दोनो लड़कियों की जंगल में विधव्त रुप से शादी की, साथ ही डाकू ने उनका
कन्या दान भी किया और दोनों लड़कियों की झोली में शक्कर डाला।
दोनों अनाथ लड़कियो के पिता की भूमिका दुल्ला भट्टी ने निभाई।
2021 में कैसे मनाया जाएगा Lohri
कोरोना के चलते लोगों का एतियात बरतने की जरुरत है।
इस साल भी हर वर्ष की तरह Lohri का पर्व मनाया जाएगा।
बाजारों में Lohri के चलते धूमधाम मची है,
लोगों द्वारा शॉपिग की जा रही है। लोगों में हर्षोल्लस देखने को मिल रहा है।
-संध्या
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