
उत्तराखंड विधानसभा में हरिद्वार जिले के नगर निगम, नगर निकाय,
नगर पालिका क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले स्लाटर हाउसन(पशु वधशाला)
पर रोक लगाए। बुधवार को शहरी विकास सचिव शैलेश बगौली ने इस
संबंध में अधिसूचना जारी की। हरिद्वार जिले में सभी नगर निगमों, नगर
पालिका परिषदों एवं नगर पंचायतों के क्षेत्रों को तत्काल प्रभाव से वधशालाविहीन
क्षेत्र घोषित किया गया है। संबंधित शहरी निकायों ने सुसंगत अधिनीयमों के तहत
स्लाटर हाउस के संचालन को दी गई। अनापत्तियों को निरस्त करने की सहर्ष स्वीकृति दी है।
हरिद्वार में पशु वधशाला का मामला लंबे समय से चल रहा है। हाईकोर्ट में भी इसे लेकर
याचिका दायर हुई थी। इस क्रम में शहरी विकास सचिव शैलेश बगोली ने हरिद्वार के निगम,
पालिका और पंचायत क्षेत्रों को वधशालाविहीन घोषित कर दिया। राज्यपाल ने उत्तर प्रदेश नगर
निगम अधिनियम, 1959 (उत्तराखंड राज्य में प्रवृत्त) की धारा 429-क और उत्तरप्रदेश नगर
पालिका परिषद अधिनियम 1916 की धारा 237-क में मिली शक्तियों
का उपयोग करते हुएअधिसूचना को मंजूरी दी है।
इस मामले में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने इस संबंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र
सिंह रावत से अनुरोध किया था। वहीं क्षेत्रीय विधायकों ने बीती एक मार्च को
स्लाटर हाउस बंद करने के संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र सौंपा था। पर्यटन मंत्री
सतपाल महाराज ने कहा कि धार्मिक आस्था के केंद्र हरिद्वार में स्लाटर हाउस
के निर्माण का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि धर्मनगरी हरिद्वार देश की
आध्यात्मिक व सांस्कृतिक राजधानी है। यहां स्लाटर हाउस नहीं खोले जाने चाहिए।
-सोमिया कुटियाल
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