नोएडा आइआइटी दिल्ली, टेक्सटाइल विभाग के हरदीप सिंह का कहना है, कि नैनोटक्नोलाजी से कपड़ों पर इस तरह का ट्रीटमेंट करना संभव हुआ है, जिससे कपड़ो को वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने में सक्षम बनाया जा रहा है। दरअसल इस टेक्नोलाजी में कपड़ों को ड्राईक्लीनिंग की प्रक्रिया के दौरान नेनो कैप्सूल का प्रयोग करके कैप्सूलेशन की प्रक्रिया कपड़ो पर की जाती है। इसके बाद हीट क्योरिंग और फिर रेसिस्टिव कंट्रोल करके कपड़ों को ट्रीटमेंट के जरिए 99.9 फीसदी तक वायरस और बैक्टीरिया फ्री बनाया जाता है।
नैनो टेक्नोलाजी के प्रयोग से कपड़ों को इम्युनिटी बूस्टर के रुप में प्रयोग किया जा रहा है। इसमें खास बात यह है,कि इस ट्रीटमेंट से कपड़े की सेहत पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं है और न ही शरीर को कोई नुकसान। नवजात शिशु भी पूरी तरह इससे सुरक्षित है। सभी जरुरी जांच के बाद इसे मंजूरी मिली व सर्टिफिकेट प्राप्त हुआ।
तापमान में बदलाव होने पर भी नैनो टेक्नोलाजी के प्रयोग से कपड़ों पर कोई असर नहीं होगा। सर्दी में ठंड से बचाने के साथ गर्मियों में भी राहत देगा। ट्रीटमेंट किए गए कपड़े के संपर्क में आने पर वायरस की कोशिश टूट जाती है, और वह निष्क्रिय हो जाता है।