2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है।
इस दिन का उद्देश्य लोगों में प्रदूषण की समस्याओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने और 1984 में
भोपाल गैस त्रासदी में जान गंवाने वाले हजारों लोगों की याद में हर साल 2 दिसंबर को भारत में राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है।
भोपाल गैस त्रासदी या भोपाल आपदा, 1984 में 2-3 दिसंबर की रात को हुई जब यूनियन
कार्बाइड इंडिया लिमिटेड पेस्टीसाइड प्लांट में गैस रिसाव के कारण 5 लाख से
ज्यादा लोग मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के संपर्क में आ गए।
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस
मध्य प्रदेश सरकार के आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, इस घटना में कुल 3,788 लोग मारे गए थे
और 5,74,366 घायल हुए थे। इस दिन को बाद में राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के रूप में चिह्नित किया गया था।
इसका उद्देश्य वायु, जल, मिट्टी और ध्वनि प्रदूषण के बारे में लोगों को जागरुक करना और लोगों को इंडस्ट्रियल
आपदाओं को नियंत्रित और प्रबंधित करने के बारे में शिक्षित करना था।
भोपाल आपदा से 10 साल पहले, पर्यावरण की सुरक्षा की दिशा में काम करने के लिए सितंबर 1974
में भारत में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का गठन किया गया था।
इसके बाद के वर्षों में, सरकार ने देश में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए और अधिक कार्य किए और कई नियम लागू किए।
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस 2020 की थीम है – प्रदूषण नियंत्रण के महत्व के
बारे में जागरूकता बढ़ाना और प्रदूषण को रोकने के लिए लोगों को शिक्षित करना।
नेशनल हेल्थ पोर्टल ऑफ इंडिया
नेशनल हेल्थ पोर्टल ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार हर साल
लगभग 7 मिलियन लोग वायु प्रदूषण के कारण अपनी जान गंवाते हैं।
वैश्विक स्तर पर 10 में से 9 लोगों को स्वच्छ और सुरक्षित हवा तक मिलती है।
भारत के कुछ शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूचि में शुमार हैं।
कई ऐसे स्थान भी हैं जहां पार्टिकुलेट मैटर का स्तर 200 से अधिक है।
- श्रुति अग्रवाल