सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दो वयस्क अगर विवाह के लिए राजी होते हैं
तो पुलिस उनसे कोई सवाल नहीं कर सकती।
न ही यह कह सकती हैं कि उन्होंने अपने माता पिता, परिवार या कुटंब से इसकी अनुमति लेनी होगी।
अदालत ने कहा कि इस मामले में वयस्कों की रजामंदी सर्वोपरि है।
विवाह करने का अधिकार या इच्छा किसी वर्ग,
सम्मान या सामूहिक सोच की अवधारणा के अधीन नहीं है।
अदालत ने कहा कि जब उन्होंने विवाह का प्रमाण-पत्र दिखा दिया
तो पुलिस को केस बंद कर देना चाहिए था,
लेकिन बयान देने के लिए उन्हें पुलिस थाने धमकाकर बुलाना गैर न्यायोचित है।\
धमकि मिलने पर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया
दरअसल, एक हिन्दू लड़की और मुस्लिम लड़के ने शीर्ष
न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और दंपति ने आरोप लगाया कि
जांच अधिकारी उन्हें कर्नाटक वापस आने के लिए मजबूर कर रहा है
और पति के खिलाफ मामले दर्ज करने की धमकी दे रहा है।
न्यायमूर्ति एस.के.कौल की पीठ ने कहा कि हम इन हथकंडों को
अपनाने में जांच अधिरकारी को परामर्श के लिए भेजा जाना चाहिए ताकि
वह साखे क् ऐसे मामलों का प्रबंधन कैसे किया जाए।
पीठ ने पाया कि आईओ को शिकायत को बंद करने के लिए खुद को
और अधिक जिम्मेदारी से पेश करना चाहता था तो उसे सूचित करना चाहिए था
कि वह उनसे मिलने आए और बयान दर्ज कराए, बजाए पति के
खिलाफ कार्रवाई की धमकी देने के कि पुलिस स्टेशन में आओ।
संध्या कौशल
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