मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री Shivraj Chauhan 4 लाख से भी ज्यादा सरकारी कर्मचारियों को
झटका दिया है। सरकार ने फैसला किया है कि सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन
का कोई भी लाभ नहीं मिलेगा।इनमें सरकारी कर्मचारियों शामिल है जो 2005 के
1 जनवरी के बाद राज्य सरकार की सेवा में आए अधिकारी कर्मचारियों, अध्यापक और
पंचायत सचिव शामिल है। यह सभी कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने के
लिए और नये पेंशन स्कीम को खत्म करने की मांग कर रहे हैं।इस मामले पर
सरकारी स्तर पर भी आवेदन किया गया है। लेकिन वित्त विभाग ने निरस्त कर दिया है।
वित्त विभाग का तर्क है कि मध्य प्रदेश में पेंशन का नियम 72 लागू नहीं है।
इसीलिए इस बारे में जो भी आवेदन आएगा, उसे खारिज कर दिया जाएगा।
राज्य सरकार के पास पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करने के लिए भोपाल,
ग्वालियर, शाजापुर, शिवपुर, मंदसौर, उज्जैन रीवा, दतिया,नीमच और रायसेन
जिले से कई शिक्षकों और कर्मचारियों ने आवेदन दिए हैं।जिला शिक्षा
अधिकारियों ने लोक शिक्षण संचालनालय को आवेदन भेजा हैं।लोक शिक्षा आयोग
जयश्री कियावत ने वित्त विभाग को पत्र लिखकर पूछा है कि क्या परिवार पेंशन
नियम 1972 के दायरे में लाकर लाभ देने के लिए एनपीएस के तहत 15 साल में
हुई कटौती को जीपीएस में जमा कराया जा सकता है।इस बात के जवाब में वित्त
विभाग ने कहा कि Madhya Pradesh पेंशन के नियम में 1972 लागू नहीं है।इसी आधार
पर अध्यापक के आवेदन को निरस्त किया जाता है। साथ ही सीएम मॉनिटरिंग से
भी जो आवेदन आएगाउन्हें सभी तो भी खारिज कर दिया जाएगा।
आवेदन खारिज करने के तर्क
प्रदेश सरकार की ओर से कहना है कि 1 जनवरी 2005 के बाद 2.25 लाख जो
कर्मचारी सेवा में आए हैं, वह 1972 के दायरे में नहीं आते हैं। 25 लाख शिक्षक से
भी ज्यादा पंचायत सचिव है जिन पर न्यू कमीशन स्कीम लागू किया गया है।
इसका मतलब जिन कर्मचारियों को पुराना स्कीम का लाभ मिलता है
उनसे कई ज्यादा नई पेंशन स्कीम वालों को मिलता।
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