हल्द्वानी के मुरारजी नगर धान मंडी के पास पिछले 1 महीने से पानी ना आने से नाराज स्थानीय महिलाओं ने नैनीताल बरेली राज्य मार्ग पर लगाया जाम पिछले 1 महीने से मुरारजी नगर के क्षेत्र में नहीं मिल रहा था। स्थानीय लोगों को पानी जल संस्थान को कई बार शिकायत करने के बाद भी स्थानीय निवासियों की दिक्कतें नहीं दूर मजबूर होकर स्थानीय महिलाओं के द्वारा लगाया गया जाम जाम की खबर मिलने पर जिला प्रशासन सिटी हल्द्वानी शहर कोतवाल मैं फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे वहीं स्थानीय लोगों को समझाने के बाद जाम को खुलवाया गया वहीं प्रशासन के द्वारा एक टैंकर मुरारजी नगर में भेजा गया लेकर स्थानीय निवासियों ने पानी लेने से मना कर दिया वहीं स्थानीय निवासियों का कहना है। कि पिछले 1 महीने से हम लोगों को पानी नहीं मिल रहा है हम लोग 2 से 3 किलोमीटर रोजाना पानी भरकर लाते हैं लेकिन प्रशासन द्वारा हमारी कोई भी सुनवाई नहीं की गई इसलिए मजबूरन हम लोगों को पानी की किल्लत के चलते जाम लगाना पड़ा वहीं उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर हमको पानी नहीं मिला तो हम लोग भूख हड़ताल करेंगे।
ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत बद्रीनाथ हाईवे को कई जगहों पर सुगम बना लिया गया है। लेकिन बिरही चाड़े पर हाईवे की स्थिति जस की तस बनी है। यहां चट्टान सड़क के ठीक ऊपर से झूल रही है। जबकि नीचे से अलकनंदा बह रही है। गत वर्ष भूस्खलन होने से यहां हाईवे बेहद संकरा हो गया है, जिससे चारधाम यात्रा में वाहनों की संख्या बढ़ जाने से तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को जाम से परेशान होना पड़ सकता है। बदरीनाथ हाईवे पर कई भूस्खलन क्षेत्रों का सुधारीकरण और चौड़ीकरण कार्य पूरा हो गया है।
जिससे यहां वाहनों की आवाजाही में कोई दिक्कत नहीं आ रही है, लेकिन चमोली चाड़े से सात किमी आगे बिरही चाड़े पर करीब 40 मीटर का हिस्सा खतरनाक बना है। यहां ऑलवेदर रोड परियोजना कार्य आधा-अधूरा पड़ा है, जिससे सड़क खराब स्थिति में पहुंच गई है। सड़क किनारे सुरक्षा के भी कोई इंतजाम नहीं हैं। जबकि गत दिनों मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने जिला प्रशासन को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से बदरीनाथ हाईवे पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम करने के साथ ही यातायात सुगम बनाने के निर्देश दिए थे।
उत्तराखंड में जिस तरह कोरोना का कहर शिक्षण संस्थानो पर पड़ रहा है। उसके कारण छात्र अब अपने घरों को लौट रहे हैं। उत्तराखंड के एक निजी विश्वविद्यालय ने कोरोना के मध्येनजर एक अनोखी पहल की है। राजधानी देहरादून के ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय विशेष विमान से छात्र-छात्राओं को उनके घर पहुँचा रहा है। अभी तक सैकड़ो छात्रों को उनके घर भेजा जा चुका है। विशेषकर उन राज्यों और शहरों के छात्रों को यह सुविधा दी जा रही है। जिनकी सड़क मार्ग से दूरी ज्यादा है। यात्रा के दौरान उनके भोजन और पानी की व्यवस्था भी करेगा ताकि संक्रमण का खतरा कम रहे। इस फैसले से छात्र भी काफी खुश हैं और कॉलेज की प्रशंसा कर रहे हैं। इसका खर्चा कालेज खुद उठा रहा है।
छात्र काफी खुश हैं
साथ ही लोग भी उनकी तारीफ़ कर रहे हैं। ग्राफिक एरा में देश के कई राज्यों के छात्र पढ़ते हैं। कोरोना के मामले बढ़ने के साथ अब छात्रों और उनके अभिभावकों की चिंता भी बढ़ गई है। वहीं विवि प्रशासन भी उनको सुरक्षित घर पहुंचाने के प्रयास में लगा हुआ है। नजदीकी इलाकों के छात्र-छात्राओं को पहले ही विशेष बसों व वाहनों के जरिये घर पहुंचा चुका है। अब दूरस्थ क्षेत्रों के छात्रों के लिए विमान के द्वारा उनके घरों को भेजा जा रहा है। अब तक सैकड़ों छात्र अपने घरों को पहुच चुके हैं। आज भी कई छात्र अपने घरों के लिये निकले, शिफ्टों में छात्रों को हॉस्टल से रवाना किया जा रहा है।
रुड़की के सिविल अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। जिससे कोरोना के मरीजों को भी भारी फजीहत झेलनी पड़ रही है। आपको बता दें कि रुड़की सिविल अस्पताल में लाखों की 14 वेंटिलेटर मशीनें पिछले डेढ़ साल एक कमरे में धूल फांक रही है।। 2020 में कोरोना काल के दौरान स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना मरीजों के लिए वेंटिलेटर मशीने खरीदी थी लेकिन आजतक मशीनो का संचालन नही हो पाया है।। वही सीएमएस का कहना है कि वेंटिलेटर मशीन चलाने के लिए उनके पास पर्याप्त स्टाफ नही है।
साथ ही मशीन चलाने के लिए आक्सीजन आवश्यता होती हैं। और अभी तक आईसीयू वार्ड भी नही बन पाया है। इसलिए वेंटिलेटर मशीन सुचारू नही हो पाई है। अब देखने वाली बात ये कब तक आईसीयू बनकर तैयार होता है और कोरोना के मरीजों को इसका लाभ मिल पाएगा या नहीं है।
मेरठ में स्वास्थ्य कर्मी की लापरवाही से संविदा पर काम कर रहे लैब टेक्नीशियन की कोरोना ने बलि ले ली। साथ ही मेडिकल कॉलेज की असंवेदनशीलता को भी बेनकाब कर दिया। टेक्नीशियन की मौत के बाद अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मियों का आक्रोश देखने को मिला, आक्रोशित स्वास्थ्य कर्मियों ने सीएमओ ऑफिस का घेराव करते हुए जमकर हंगामा किया।
स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि 32 साल का लैब टेक्नीशियन अपने इलाज की गुहार लगाता रहा। उसने अपनी वीडियो भी वायरल की। उसके बाद भी न ऑक्सीजन मिला न इलाज। डॉक्टरों के इंतजार में पथराई उसकी आंखें आखिर बंद हो गईं। स्वास्थ्य विभाग भी अपने कर्मचारी के साथ इंसाफ नहीं कर पाया। युवक अपने पीछे छह माह के जुड़वां बच्चे छोड़ गया है। स्वजन का आरोप है कि उसे ऐसे वार्ड में शिफ्ट कर दिया, जहां ऑक्सीजन नहीं थी। इसी के चलते उसकी मौत हो गई।
डॉक्टरों की लापरवाही से हुई मौत
अब्दुल्लापुर स्वास्थ्य केंद्र पर कार्यरत अंशुल 15 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव मिलने पर मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुआ। वार्ड में भारी भीड़ थी लेकिन सब्र बांधा। दो दिन डॉक्टरों का इंतजार किया। रविवार को उसने वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। वीडियो में वह कह रहा है कि-ये मेरे जैसे स्वास्थ्यकर्मी का इलाज नहीं कर रहे, आम आदमी की क्या हालत होती होगी। वीडियो में युवक की सांस फूलती दिख रही है। डॉक्टर आते हैं और पल्स देखकर चले जाते हैं। कोई दवा और इंजेक्शन नहीं दिया जा रहा। वीडियो में उसका दर्द साफ दिख रहा था। पहली बार 18 अप्रैल को डाक्टरों ने उसे दवा दी।लेकिन ठीक से ईलाज न मिलने से उसकी देर रात मौत हो गयी।
वुडस्टॉक स्कूल के निकट स्प्रिंग्व्यू के पास जंगल में आग लगने से बेशकीमती वन संपदा जलकर नष्ट हो गई तेज़ हवाओं के कारण आग पर काबू पाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी वही अग्निशमन दल स्कूल प्रबंधन और स्थानीय नागरिकों की मदद से आग पर काबू पा लिया गया बताते चलें कि इन दिनों मसूरी में आसपास के जंगलों में वनाग्नि अपना रौद्र रूप धारण किए हुए हैं जिस कारण वन संपदा तो नष्ट हो ही रही है साथ ही जंगल में विचरण करने वाले पशु पक्षियों को भी भारी परेशानी हो रही है। विगत 2 दिनों से बारिश होने के कारण कई जगह पर लगी आग बुझ गई थी लेकिन आज लगभग 1:00 बजे के करीबन वुडस्टॉक स्कूल के पास जंगल में आग लग गई अग्निशमन दल के वीरेंद्र बिष्ट ने बताया कि तेज हवा चलने से आग पर काबू पाने में काफी परेशानी आ रही थी लेकिन कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया है और स्थिति अब नियंत्रण में है।