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पूर्णागिरि मेला : अन्नपूर्णा की चोटी पर बसा है मां पूर्णागिरि का धाम

ठुलीगाड़ है धाम का पहला पड़ाव

ऐतिहासिक पूर्णागिरि मेला का विधिवत शुभारंभ हो गया है. मां के जयकारों के बीच कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ठुलीगाड़ में विधिवत पूजा अर्चना करते हुए मेले का शुभारंभ किया. मां पूर्णागिरी मेला 19 मार्च से 15 जून तक चलेगा. चंपावत जनपद के टनकपुर में लगने वाले मां पूर्णागिरि मेले का आयोजन टनकपुर तहसील प्रशासन, मां पूर्णागिरि मंदिर समिति एवं जिला पंचायत चंपावत के द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है। चम्पावत जनपद के टनकपुर कस्बे से 24 किमी दूर अन्नपूर्णा चोटी पर मां का धाम बसा है। मां के 52 शक्तिपीठों में एक पीठ यह भी है। माता सती की यहां पर नाभि गिरी थी। 1632 में श्रीचंद तिवारी ने यहां पर मंदिर की स्थापना की और माता की विधिवत पूजा अर्चना शुरू की। मान्यता है कि सच्चे मन से धाम में जो भी अपनी मन्नत मांगता है उसकी मुराद पूरी होती है। यहां पहुंचने वाले हर भक्त की मुराद जरूर पूरी होती है। यहां वर्ष भर श्रद्धालु शीश नवाते हैं। चैत्र और शारदीय नवरात्र में तो इस धाम में भक्तों का रेला उमड़ पड़ता है। उत्तर भारत ही नहीं अपितु देश भर के लोग यहां मां के दर्शन को आते हैं। यह भी पढ़े – उत्तराखंड कांग्रेस का कौन होगा नया अध्यक्ष टनकपुर पहुंचने के बाद श्रद्धालु पवित्र शारदा नदी में स्नान कर आठ किमी दूर धाम का पहला पड़ाव ठुलीगाड़ आता है। इस स्थान पर विभिन्न धर्म परायण लोगों द्वारा भंडारा लगाया जाता है।

बाबा भैरवनाथ है मां के द्वारपाल

शक्तिपीठ में पहुंचने से पूर्व भैरव मंदिर पर बाबा भैरवनाथ का वास है। वह उनके द्वारपाल के तौर पर खड़े हैं। उनके दर्शन के बाद ही मां के दर्शनों की अनुमति मिलती है। जहां वर्ष भर धूनी जली रहती है। बाबा भैरव को हनुमान का सारथी व शिव के काल का रूप भी माना जाता है।  

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