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बागेश्वर में होली के गीतों और ढोल की थाप पर थिरकी महिलाएं

कुमाऊं में तीन महीने तक चलती है होली

गोल्डन पब्लिक स्कूल सिसौना में आयोजित महिलाओं की होली में महिलायें जमकर थिरकी। यहां श्री गणेश वंदना के बाद होली, होली गायन की शुरूआत की। होल्यारों ने कैले बाधे चीर हो रघुनंदन राजा, होली खेलो फाल्गुनी ऋतु आई रही राधा नंद कुंवर समझाई रही ,चलो री सखी चलो होली खेलन, वन को चलें दो भाई उन्हें समझाओरी माई, जल कैसे भरू जमुना गहरी होली खैले है राजा दशरथ के वीर , मलत मलत नैना लाल भऐ, किन्ने डालो नयन में गुलाल, मत जाओ पिया होली आई रही, तुम सबके भगवान कन्हैया तुम क्यों न खेलो होली लला, समेत कई होली गीत गाए।  माना जाता है कि 16वीं सदी में चंद शासन के दौरान खड़ी होली की शुरुआत हुई थी। कुमाऊं में होली पूरे उल्लास और परंपरा के अनुरूप मनाई जाती है। यहां होली तीन महीने तक चलती है। होली की ये विधा पौष माह के प्रथम रविवार से गणपति वंदना के साथ शुरू होती है, जो माघ व फाल्गुन में अपने रंग में रंग जाती है। यह भी पढ़े- उत्तराखंड में हुआ बड़ा हादसा, मलबे की चपेट में आई मशीन कुमाऊं की होली में रागों का अपना महत्व है, धमार राग होली गायन की परंपरा है।यहां ढोल, मजीरे, तबले की थाप में होली गीतों में होल्यार जमकर झूमे। महिलाओं ने झोड़ा ,चाचरी भी की। इस दौरान आलू,, चाय, मिठाई, गुजिया, फल वितरित किये गये। एक दूसरे को अबीर, गुलाल लगाया।

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