देवभूमि उत्तराखंड के त्योहारों में से इगास की धूम-धाम सारे शहर में रही है। लोगों की सहभागिता के साथ सरकार ने भी अपना प्रयास जारी किया और इगास की सार्वजनिक अवकाश की मांग उठने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा तुरंत इसे पूरा कर स्वीकारा गया। साथ ही मुख्यमंत्री ने देश को संदेश दिया कि तीज-त्योहार के संरक्षण और संवद्रधन को लेकर सरकार बंधित है। इसी के चलते गांवों, शहरों कस्बों इत्यादि में इगास पर्व को हर्ष व उल्लास के साथ मनाया गया।
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उत्तराखंड के परिवेश में बदलाव से लोकपर्वों पर भी इसका असर देखने को मिला है। उत्तराखंड की राज्यसभा सदस्य एवं भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी के प्रयासों से इगास पर्व अपने अस्तित्व में आया, प्रमुख द्वारा देशवासियों को प्रेरणा देकर यह आग्रह किया गया कि वे सब अपने-अपने मूल स्थानों पर जाकर इगास पर्व को मनाएं। यह त्योहार हमें आपस में एक दूसरे से जुड़ाव का अहसास दिलाता है। इगास को देशभर में मनाये जाने को लेकर अब जोर दिया जा रहा है ताकि आने वाले समय में गुजरात के गरबा और बंगाल की दुर्गापूजा की तरह इगास को भी देशभर में अपनी अलग पहचान मिल सके।
सिमरन बिंजोला