पश्चिम बंगाल में आगामी अप्रैल में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पारा सातवें आसमान पर है।
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच इन दिनों जबर्दस्त टक्कर चल रही है।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो इस बार मुख्य मुकाबला इन दोनों दलों के बीच ही है।
इस बीच तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने कांग्रेस और बामपंथी दलों से भाजपा के खिलाफ लड़ाई में साथ आने की अपील की है।
पार्टी की तरफ से कहा गया है कि भाजपा की ”सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी राजनीति”
के खिलाफ लड़ाई में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का साथ देने के लिए कांग्रेस और वाम दल साथ आएं।
तृणमूल कांग्रेस के इस प्रस्ताव पर कांग्रेस ने रखी शर्त
तृणमूल कांग्रेस के इस प्रस्ताव पर कांग्रेस ने शर्त रखी है कि अगर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी
BJP के खिलाफ लड़ने के लिए इच्छा रखती हैं तो उन्हें कांग्रेस में शामिल होना पड़गा।
TMC के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए काग्रेस सांसद और पार्टी के प्रदेश प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने
कहा कि प्रदेश में भाजपा के शक्तिशाली होने के लिए एक मात्र जिम्मेदार TMC है।
उन्होंने कहा, ”हमें तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन में कोई दिलचस्पी नहीं है।
पिछले 10 सालों से हमारे विधायकों को खरीदने के बाद तृणमूल कांग्रेस को अब गठबंधन में दिलचस्पी क्यों है।
अगर ममता बनर्जी भाजपा के खिलाफ लड़ने को इच्छुक हैं तो उन्हें कांग्रेस में शामिल हो
जाना चाहिए क्योंकि वही सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई का एकमात्र देशव्यापी मंच है।”
क्या कहा सांसद सौगात रॉय ने
बंगाल में 294 विधानसभा सीटों पर अप्रैल-मई में चुनाव होने हैं। टीएमसी नेता सौगात रॉय ने कहा,
”यदि लेफ्ट और कांग्रेस वास्तव में भाजपा के खिलाफ हैं तो उन्हें भगवा दल की सांप्रदायिक एवं
विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ लड़ाई में ममता बनर्जी का साथ देना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ही भाजपा के खिलाफ धर्मनिरपेक्ष राजनीति का असली चेहरा हैं।
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