उत्तराखंड में हिमपात के शिलशिले ने अपनी रफ्तार पकड़ ली है लिहाजा उत्तराखंड के ऊंचाईं पर स्थित सभी पर्यटन स्थल पर्यटकों की भीड़ से पटे पड़े हैं। उत्तरकाशी में स्थित हर्षिल वैली इस विंटर सीजन में हुए हिमपात से खुशगवार नजर आ रही है, हजारों की संख्या में उमड़ी सैलानियों की भीड़ इस बात की ओर इशारा करती है कि उत्तराखंड और पर्यटन ने अपने चहुमुखी विकास के बिगुल को बजा दिया है। हांलांकि एक ओर हर्षिल वैली में हुए इस हिमपात ने जहां एक ओर सैलानियों को अपने मनोरम दृश्यों से मनमोहित किया है तो वहीं इस हिमपात से तापमान में हुई गिरावट ने आम जन-जीवन को भी काफी मुश्किलों में डाल दिया है जी हाँ, हम बात कर रहें हैं हर्षिल में तापमान में हुई इस गिरावट से प्रभावित होने वाली जल-आपूर्ति की। हर्फिल में हुए हिमपात से सभी प्राकृतिक जलस्त्रोत पूरी तरह से जम चुके हैं और जन साधारण को पानी कि किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। आलम तो यह है कि हर्षिल वैली के क्षेत्रवासी अब घरों की छतों पर गिरी बर्फ को पिघलाकर पीने के लिए मजबूर हैं।
पर्यटकों की भारी संख्या, जल-आपूर्ति बनी हर्षिल वैली की बड़ी समस्या
हर्षिल वैली में हुए भारी हिमपात का लुफ्त उठाने के लिए हजारों की संख्या में पर्यटक इस समय हर्षिल में मौजूद हैं और हिमपात से हर्षिल के तापमान में हुई इस गिरावट से जल आपूर्ति पूरी तरह बाधित हो चुकी है लिहाजा पर्यटकों को पानी बाल्टीयों पर ढोकर पहुंचाया जा रहा है और ग्रामीणों और पर्यटकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस कारण हर्षिल के ग्रामीणों को पूरी तरह से नदियों और छतों से पिघल रही बर्फ के पानी पर निर्भर रहना पड़ रहा है। हर वर्ष की भांति इस बार भी हर्षिल घाटी के गांवों में एक बार फिर पेयजल आपूर्ति की समस्या का सामना करना पड़ रहा है और तापमान गिरने से जहां एक ओर पानी के नल फट रहे हैं, तो वहीं जल-आपूर्ति के मुख्य स्थानों पर भी जलस्रोत पूरी तरह से जम चुके हैं।
हर्षिल वैली में पानी के लिए करना पड़ रहा किलोमीटर तक का सफर
हर्षिल वैली के कुछ ग्रामीणों के अनुसार हर्षिल वैली की पाइप लाइनों में जल आपूर्ति नहीं होने के कारण ग्रामीण नदियों से पानी की आपूर्ति करनें को मजबूर हैं तो वहीं क्षेत्र के आसपास के जल स्त्रोत भी जम गए हैं। इसलिए ग्रामीणों को पानी के लिए तकरीबन एक किमी की दूरी नापनी पड़ रही है, तो वहीं कई बार अधिक ठंड होने पर घरों की छतों से पिघल रही बर्फ के पानी पर भी निर्भर रहना पड़ रहा है।