उत्तराखंड राज्य में बिजली उत्पादन की योजनाएं अपनी रफ्तार पकड़ती नजर आ रही हैं राज्य सरकार द्वारा इसके लिए महत्वूर्ण कदम भी उठाए जा चुके हैं। दरअसल प्रदेश में स्मॉल हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का निर्माण 2010 से रुका हुआ था उस समय की तत्कालीन प्रदेश सरकार ने प्रदेश में नए स्मॉल हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का आवंटन किया था जिसके बाद इस योजना पर कई सवाल भी उठे और कई विवादों ने भी जन्म लिया लिहाजा मामले की एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई। जिसके बाद परियोजना को लेकर विवाद तूल पकड़ता गया और सरकार को यह आवंटित परियोजना को निरस्त करना पड़ा, और गत 15 सालों में किसी का साहस न हो सका कि इन आवंटित परियोजनाओं को पुन: प्रकाश में लाया जाए और स्मॉल हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का साहस दिखाया जाए।
15 सालों के बाद वर्ष 2025 में प्रदेश की क्रियान्वत धामी सरकार ने इन परियोजनाओं पर से धूल हटाते हुए मामले को एकबार फिर संज्ञान में लिया, और सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पूर्व ही राज्य में 261 मेगावाट के 14 प्रोजेक्ट को हरी झंडी दिखा दी जिसमें आठ तो वे हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट हैं जिनका आवंटन कंपनीयों को पहले ही दिया जा चुका था लेकिन किन्ही कारणों से कार्य शुरु नहीं हो पाया था। अब पुन: पूर्व में आवंटन वाली उन्ही कंपनीयों को बिना किसी जुर्माने के दोबारा काम शुरू करने का अवसर दिया गया है, साथ ही शेष छह प्रोजेक्ट नए सिरे से आवंटित किए गए हैं। हांलांकि सुप्रीम कोर्ट में अभी भी 2164 मेगावाट के 22 बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट का मामला लंबित चल रहा है जिसके लिए प्रदेश सरकार अभी भी लड़ाई लड़ रही है।
28 नए स्मॉल हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का रास्ता हुआ साफ
प्रदेश में 28 नए स्मॉल हाइड्रो पावर प्रोजेक्टस का रास्ता साफ हो चुका है, प्रदेश सरकार ने 261 मेगावाट के 14 प्रोजेक्टस को आवंटित कर दिया है। प्रदेश में बनने जा रहे यह 28 स्मॉल हाइड्रो पावर प्रोजेक्टस कुल 446 मेगावाट बिजली का उत्पादन उत्पादित करेंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि यह नए हाइड्रो प्रोजेक्ट प्रदेश के उपभोक्ताओं को कुछ राहत प्रदान करेंगे। 28 में से 261 मेगावाट के 14 प्रोजेक्टस को आवंटित किए जा चुके हैं शेष 165 मेगावाट के 14 प्रोजेक्ट्स को भी जल्द आवंटित करने की तैयारी है। यह प्रक्रिया निकाय चुनाव की आचार संहिता समाप्त होने के बाद शुरू होगी। इस तरह कुल 446 मेगावाट के पावर प्रोजेक्ट से राज्य का बिजली उत्पादन न सिर्फ बढ़ाया जाएगा बल्कि इससे राज्य की बिजली जरूरतों को पूरा करने में भी सहयोग मिलेगा और बाजार से खरीदी जाने वाली महंगी बिजली से भी राहत मिलेगी। ऐसी छोटी परियोजना के निर्माण में करीब तीन साल का समय लगता है।
यह हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट हैं आवंटित
पिथौरागढ़ में बुर्थिंग, फ्यूलियाबागर, मदकिनी, खुटानी, ओखली, ओखली-टू, रालम सिंपू उडियार, चमोली में मेलखेत, देवली, रयात टिहरी, भटभ्यूंग रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी में सोली बर्निगाड़, सयानाचट्टी, अमलवा देहरादून।
इन हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स का होना है आवंटन
पिथौरागढ़ में नक्कलगाढ़, पैनागाढ़, जिम्बा मरम, फ्यूसैंणी, पिलतीगाड़, रालम बैंसनी उडियार, मंडप, मुवानी, कमतोली, बलगाड़, सेराघाट, बादरीगाढ़ टिहरी, उत्तरकाशी में रिकांल, गरसाड़।
25000 मेगावॉट की है क्षमता, 5000 मेगावॉट ही हो रहा उत्पादन
उत्तराखंड में जल विद्युत परियोजनाओं के मामले में राज्य की उत्पादन क्षमता 25000 मेगावॉट है जबकि राज्य में जल विद्युत उत्पादन 5000 मेगावॉट ही हो पा रहा है, जिसका मुख्य कारण जल विद्युत परियोजनाओं में विवादों और कानूनी प्रक्रियाओं की अड़चन का पड़ना है।