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उत्तराखंड में वन अफसरों ने लगाया सरकार को चूना, वन निधि के पैसों से उड़ाई मौज…एक्सपायर दवाएं, करोड़ों की धांधली…CAG रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

CAG द्वारा जारी साल 2022 की समीक्षा रिपोर्ट में वन विभाग के अफसरों द्वारा राज्य सरकार को बड़ा चूना लगाने के मामले सामने आए हैं, जिसमें साफ उल्लेखित है कि CAMPA (वनीकरण कोष) के फंड को वन संपदा से संबंधित कार्यों के बजाय रेफ्रिजरेटर, मोबाइल जैसी उन चीजों पर व्यय किया गया है, जो गैरपर्यावरण हैं।

उत्तराखंड में वन अफसरों ने लगाया सरकार को चूना

      उत्तारखंड विधानसभा सत्र अभी हाल ही में समाप्त हुआ है जिसके दौरान उत्तराखंड विधानसभा बजट 2025 को भी पेश किया गया है, लेकिन इन सभी घटनाओं के बीच नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा प्रस्तुत ऑडिट रिपोर्ट ने सदन में महत्वपूर्ण जानकारी दी जिसमें यह ज्ञात हुआ कि उत्तराखंड वन विभाग के अधिकारियों ने सरकार को किस प्रकार बड़े पैमाने पर चूना लगाया है। दरअसल नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA) में चिंताजनक वित्तीय अनियमितताओं के होने का खुलासा हुआ है। दरअसल राज्य सरकार द्वारा CAMPA (वनीकरण कोष) को जो फंड दिया गया था उसका उपयोग वन संपदा प्रतिरक्षा, ईको-टूरिज्म जैसे किसी भी कार्य में व्यय न करते हुए रेफ्रिजरेटर जैसी उन चीजों पर व्यय किया गया है, जो गैरपर्यावरण हैं। आपको बता दें कि इस फंड का व्यय कोई एक साल न करके बल्कि 37 मामलों में इसका उपयोग करने में पूरे 8 साल लगाए गए हैं।        

वन निधि के पैसों से उड़ाई मौज

      CAG द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार CAMPA (वनीकरण कोष) फंड के अंतर्गत केंद्र ने मात्र सड़क, पावर लाइन, जल आपूर्ति लाइन, रेलवे और ऑफ रोड लाइन के लिए औपचारिक स्वीकृति प्रदान की थी, लेकिन इन सभी कार्यों के लिए भी डिवीजनल फॉरेस्ट अफसर की मंजूरी आवश्यक थी। CAG ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि साल 2017 से लेकर साल 2022 तक 52 मामलों में तो डिवीजनल फॉरेस्ट अफसर की मंजूरी भी नहीं ली गई है, तो वहीं, वन विभाग द्वारा 2017 से 2022 के बीच रोपे गए वृक्षारोपण में से केवल 33 प्रतिशत वृक्ष बचे हैं, जो कि वन अनुसंधान संस्थान द्वारा निर्धारित 60-65 प्रतिशत से बहुत कम है। सिर्फ इतना ही नहीं अल्मोड़ा में डिवीजनल फॉरेस्ट अफसर के कार्यालय में भी सोलर फेंसिंग पर बिना किसी स्वीकृति के 13.51 लाख रुपये का खर्च किए गए और इसके टैक्स भुगतान के लिए जीका प्रोजेक्ट को 56.97 लाख रुपये रिडायरेक्ट किए गए। वहीं मुख्य वन संरक्षक (CCF), सतर्कता और कानूनी प्रकोष्ठ का ऑफिस बनाने में ₹ 6.54 लाख रुपये खर्च किए गए ,जबकी बाघ सफारी परियोजनाएं, कानूनी शुल्क, व्यक्तिगत यात्रा, आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज, और कार्यालय आपूर्ति की खरीद पर ₹13.86 करोड़ रूपये खर्च किए गए। अत: CAG की इस रिपोर्ट से ज्ञात होता है कि वन अफसरों द्वारा सरकार के अमूल्य धन पर किस प्रकार मौज-मस्ती करी गई है।        

करोड़ों की धांधली

      CAG की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2006 से लेकर वर्ष 2012 के बीच में राज्य वन विभाग के CAMPA (वनीकरण कोष) में करोड़ों की धांधली हुई है, जिसका उल्लेख देते हुए CAG ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि प्रतिपूरक वनरोपण शुल्क के तहत 212.28 करोड़ रुपये की वसूली नहीं की गई, तो वहीं प्रधान सचिव के निवास के पुनर्निर्माण, सरकारी आवासों के रखरखाव और वाहनों की खरीद जैसे गैर-पर्यावरणीय खर्चों पर 12.26 करोड़ रुपयों का व्यय कर दिए गए। कहीं बजट बैठकों में लंच, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में उत्सव समारोह पर 35 लाख रुपये समेत अन्य अनावश्यक खर्चों पर कुल 6.14 करोड़ रुपयों का व्यय कर दिया गया तो कहीं अस्वीकृत परियोजनाओं पर 2.13 करोड़ खर्च कर दिए गए, जबकि स्वीकृत सीमा स परे 3.74 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए।      

अस्पतालों में एक्सपायर दवाएं

      वहीं CAG ने अपनी रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया है कि कुछ सरकारी अस्पतालों में तो 34 एक्सपायर दवाओं का स्टॉक मिला है, जबकि इनमें से कुछ दवाओं की एक्सपायरी डेट दो साल पहले ही निकल चुकी है। इतना ही नहीं पर्वतीय क्षेत्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों के लगभग 70% पद और मैदानी क्षेत्रों में 50% पद रिक्त हैं और तो और लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने के बावजूद 250 डॉक्टरों को भी कार्यरत रहने की अनुमति दी गई।        
लेखक- शुभम तिवारी (HNN24X7)

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