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उत्तराखंड वनाग्नि पर काबू पाएगा अर्ली वार्निंग सिस्टम, अपर वन प्रमुख ने बताये लाभ…अब तक जुड़े लगभग 21 हजार लोग

उत्तराखंड में प्रत्येक वर्ष बड़े पैमाने पर वनाग्नि से राज्य वन संपदा को क्षति पंहुच रही है, उत्तराखंड में अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित किया गया है, अर्थात अब मौसम विभाग से मिलने वाले पूर्वानुमान के आधार पर वन कर्मियों को संवेदनशील क्षेत्र चिह्नित कर अलर्ट किया जा रहा है। इसके अलावा फारेस्ट फायर एप और फायर अलर्ट सिस्टम से अब तक 20,900 व्यक्तियों को जोड़ा जा चुका है। इससे अग्नि दुर्घटनाओं की तत्काल जानकारी मिल रही है और अग्नि नियंत्रण में रिस्पांस टाइम कम हुआ है।

उत्तराखंड वनाग्नि पर काबू पाएगा अर्ली वार्निंग सिस्टम

    उत्तराखंड में वनाग्नि एक गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है, जो कि उत्तराखंड की प्राकृतिक संपदा के साथ-साथ उत्तराखंड सरकार के वित्तिय व्यय को भी अधिक कर रहा है। उत्तराखंड में प्रत्येक वर्ष बड़े पैमाने पर वनाग्नि से राज्य वन संपदा को क्षति पंहुच रही है, लिहाजा इस चिंता के विषय से निपटने के लिए उत्तराखंड सरकार ने भी अब तकनीकी ढंग से इससे निपटने का मार्ग खोज ही लिया है। समय के साथ आगे बढ़ना ही मानव और प्रकृति का नियम है, काफी वर्षों के इंतजार के बाद आखिरकार उत्तराखंड वन विभाग को आभास हो चुका है कि तकनीकी ढंग से ही वनाग्नि नियंत्रण का मार्ग निकल सकता है। इसी क्रम में उत्तराखंड में अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित किया गया है, अर्थात अब मौसम विभाग से मिलने वाले पूर्वानुमान के आधार पर वन कर्मियों को संवेदनशील क्षेत्र चिह्नित कर अलर्ट किया जा रहा है, ताकि आग लगने पर उस पर फौरन काबू पाया जा सके। इसके अलावा फारेस्ट फायर एप और फायर अलर्ट सिस्टम से अब तक 20,900 व्यक्तियों को जोड़ा जा चुका है। इससे अग्नि दुर्घटनाओं की तत्काल जानकारी मिल रही है और अग्नि नियंत्रण में रिस्पांस टाइम कम हुआ है।      

अपर वन प्रमुख ने बताये लाभ

        उत्तराखंड वन विभाग अपर प्रमुख निशांत वर्मा कहते हैं कि फॉरेस्ट फायर एप और फायर अलर्ट सिस्टम काफी लाभदायक साबित हो रहा है, इसकी बदौलत अब अग्नि दुर्घटनाओं के साथ ही अन्य जानकारियां विभाग को मिल रही हैं जिनसे उनका तत्काल समाधान भी किया जा रहा है। अपर प्रमुख ने बताया कि मौसम विभाग द्वारा प्राप्त होने वाले पूर्वानुमान के आधार पर संवेदनशील क्षेत्रों का आंकलन किया जा रहा है। तो वहीं पिछले सालों के आंकड़ों के आधार पर फायर डेंजर रेटिंग कर वहां वनकर्मियों का तैनाती करी जा रही है, जिसके हमें बेहतर परिणाम भी प्राप्त हो रहे हैं।        

वनाग्नि प्रबंधन समितियों को मिल रही 30-30 हजार प्रोत्साहन राशि

        वहीं उत्तराखंड वनाग्नि को लेकर उत्तराखंड प्रमुख वन सचिव RK सुधांशु बताते हैं कि उत्तराखंड के जंगलों में लगने वाली आग पर नियंत्रण पाने के लिए जनसहभागिता को बढ़ाने के लिए ग्राम वनाग्नि प्रबंधन समितियों को 30-30 हजार की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। वहीं इसके अतिरिक्त चीड़ की पत्तियों को एकत्र करने के लिए भी 10 रुपये प्रति किलोग्राम की दर तय करी गई है। प्रमुख वन सचिव ने बताया कि अग्नि नियंत्रण में तकनीकी का बेहतर उपयोग किया जा रहा है, हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं, जिनके हमें सार्थक परिणाम भी सामने आने की संभावना है।            
लेखक- शुभम तिवारी (HNN24X7)

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