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उत्तराखंड सरकार के बुलडोजर एक्शन पर नैनीताल हाई कोर्ट के सवाल….. आखिर-‘रसूखदारों पर क्यों नहीं हुई कार्रवाई’

नैनीताल हाईकोर्ट ने राजधानी देहरादून के विकासनगर क्षेत्र में झुग्गीवालों के घरों के ध्वस्तीकरण पर फिलहाल रोक लगाते हुए उत्तराखंड सरकार से पूछा है कि अब तक रसूखदारों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई और झुग्गीवालों को सुनवाई का अवसर क्यों नहीं दिया जा रहा है? कोर्ट ने झुग्गीवालों को पर्याप्त सुनवाई का अवसर न देने पर नाराजगी जताई और सरकार को 15 अप्रैल तक स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया। यह मामला अतिक्रमण हटाने से जुड़ा है जिसमें चयनात्मक कार्रवाई का आरोप है।

उत्तराखंड सरकार के बुलडोजर एक्सन पर हाई कोर्ट के सवाल

        उत्तराखंड में धामी सरकार सभी प्रकार के अवैध निर्माण और अवैध अतिक्रमण को लेकर अपनी कार्रवाई जारी रखे हुए है, उत्तराखंड सरकार अवैध अतिक्रमण को करारा जवाब देते हुए सभी अवैध अतिक्रमणों को अपने बुलडोजर एक्शन के द्वारा ध्वस्त कर रही है। वहीं फिलहाल नैनीताल हाई कोर्ट ने राजधानी देहरादून के विकासनगर क्षेत्र में झुग्गीवालों के घरों के ध्वस्तीकरण पर फिलहाल रोक लगाते हुए उत्तराखंड सरकार से पूछा है कि अब तक रसूखदारों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई और झुग्गीवालों को सुनवाई का अवसर क्यों नहीं दिया जा रहा है? इसके लिए नैनीताल हाई कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को 15 अप्रैल तक संबंधित मामले में स्पष्टिकरण देने के लिए कहा है। वहीं संबंधित मामले को लेकर उत्तराखंड सरकार की ओर से जानकारी दी गई कि याचिकाकर्ताओं को पूर्व में भी नोटिस दिए गए हैं। शनिवार को अवकाश के बाद भी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ में प्रभावितों के प्रार्थना पत्रों पर विशेष सुनवाई हुई।      

आखिर-‘रसूखदारों पर क्यों नहीं हुई कार्रवाई’

      वहीं याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने कोर्ट को बताया कि विकासनगर क्षेत्र में 20 झुग्गी निवासी लोगों को प्रशासन की ओर से पांच अप्रैल को तीन दिन के भीतर अतिक्रमण हटाने के नोटिस दिए गए हैं। जबकि SDM साहब की रिपोर्ट में दो रसूखदारों के अतिक्रमण की जिक्र है, जो नाले के पास में ही निर्माण कार्य कर रहे हैं। वहीं रसूखदारों द्वारा नॉन जेडीए की भूमि पर ही कॉम्पलेक्स बना दिया गया है और उसे मुख्य मार्ग से पीछे नाले की ओर बढ़ा दिया गया है। वहीं आरोप यह भी है कि रसूखदारों की ओर से स्पष्ट अभिलेख तक प्रस्तुत नहीं किए गए हैं और उन पर किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। वहीं दूसरी ओर जो लोग खनन के नाम पर नदी-नालों में खनिजों का दोहन कर रहे हैं,उन पर भी कार्रवाई नहीं हो रही है। नैनीताल हाई कोर्ट की खंडपीठ ने इस पर सख्त नाराजगी जताते हुए नोटिसों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी। वहीं उत्तराखंड सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर व मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत की ओर से बताया गया कि जिनको नोटिस दिए गए हैं, उनको पूर्व में भी नोटिस दिए जा चुके हैं।          
लेखक- शुभम तिवारी (HNN24X7)

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