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चल पड़ी UCC PORTAL पर रजिस्ट्रेशन की गाड़ी, उत्तराखंड में अब तक हुए 278 पंजीकरण

उत्तराखंड सरकार पीछले तीन सालों से जिस लड़ाई को लड़ रही थी अन्तत: उसने धरातल पर साकार रुप ले ही लिया, हम बात कर रहे हैं समान नागरिक संहिता (UCC) की। प्रदेश सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 27 जनवरी को समान नागरिक संहिता पोर्टल ( UCC Portal ) का शुभारंभ कर दिया है, लिहाजा उत्तराखंड राज्य भारत का पहला एसा राज्य बन गया है जिसमें समान नागरिक संहिता लागू हो चुकी है। अब तक UCC Portal पर 278 पंजीकरण भी किए जा चुके हैं जिनमें से 19 पंजीकरणों को प्रथम स्तर की स्विकृति भी प्रदान कर दी गई है। HNN के साथ जानिए UCC Portal के लाभ और पंजीकरण की एक-एक कड़ी।

उत्तराखंड में अब तक हुए 278 पंजीकरण

  उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी सरकार के नेतृत्व में समान नागरिक संहिता को लागू किया जा चुका है लिहाजा उत्तराखंड राज्य देश का पहला UCC कानून लागू वाला राज्य बन चुका है। समान नागरिक संहिता में काफी नियमों को लागू किया गया है जिसके अंतर्गत राज्य सरकार राज्य में होने वाली सभी गतिविधियों को आसानी से जान सकती है। समान नागरिक संहिता के अंतर्गत एक नियमावली को प्रतिपादित किया गया है जिसमें विवाह, विवाह-विच्छेद व वसीयत यह मुख्य बिंदु शामिल हैं, प्रदेश में इन सभी नियमों के संबंध में बीते बुधवार तक कुल 278 पंजीकरण हुए जिनमें से 19 पंजीकरणों को प्रथम स्तर की मान्यता भी प्राप्त हो चुकी है। UCC Portal पर पंजीकरण और राज्य में समान नागरिक संहिता को निर्विघ्नता पूर्वक लागू करने में कोई समस्या न हो इसके लिए शासन ने ITDA ( Information Technology Development Agency) को शासन को लगातार अपडेट देनें के लिए भी निर्देशित किया है। समान नागरिक संहिता के अंतर्गत पंजीकरण करने के लिए चार स्तरिय पंजीकरण का प्रावधान किया गया है। जिसमें ग्राम,नगर पंचायत, नगर निगम और कैंट यह चार चरण आधारित हैं।

प्रथम स्तर- ग्रामीण क्षेत्र

  ग्राम स्तर पर व SDM को रजिस्ट्रार और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी को उप रजिस्ट्रार बनाया गया है।

द्वितिय स्तर- नगर पंचायत

  नगर पंचायत व नगर पालिका में SDM को रजिस्ट्रार और अधिशासी अधिकारी को उप रजिस्ट्रार बनाया गया है।

त्रितिय स्तर- नगर निगम

  वहीं नगर निगम में नगर आयुक्त को रजिस्ट्रार और कर अधीक्षकों को उप रजिस्ट्रार बनाया गया है।

चतुर्थ स्तर- कैंट क्षेत्र

  कैंट क्षेत्र में मुख्य अधिशासी अधिकारी को रजिस्ट्रार व उनके द्वारा नामित अधिकारी को उप रजिस्ट्रार बनाया गया है।

लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण प्रावधान

  राज्य में समान नागरिक संहिता लागू होने से पहले जो भी लिव इन रिलेशनशिप स्थापित हुए हैं उनका पंजीकरण संहिता के लागू होने की तिथि के ठीक एक माह के भीतर कराना होगा। जबकि संहिता के लागू होने के बाद वाले लिव इन रिलेशनशिप होंगे उनका पंजीकरण, लिवइन रिलेशनशिप में प्रवेश की तिथि से एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा।

लिव इन समाप्ति का पंजीकरण प्रावधान

लिव इन रिलेशनशीप में रहने वाले एक या दोनों साथी ऑनलाइन या ऑफलाइन तरीके से लिव इन समाप्त करने कर सकते हैं। यदि एक ही साथी आवेदन करता है तो रजिस्ट्रार दूसरे की पुष्टि के आधार पर ही इसे स्वीकार करेगा और यदि लिव इन से महिला गर्भवती हो जाती है तो ऐसे में रजिस्ट्रार को अनिवार्य तौर पर सूचना देनी होगी और बच्चे के जन्म के 30 दिन के भीतर इसे अपडेट करना होगा।

लिव इन रजिस्ट्रेशन को रजिस्ट्रार करेंगे स्वीकृत

  राज्य में लिव इन के विषय के अलावा शेष सभी आवेदन उप रजिस्ट्रार के पास आएंगे, और लिव इन के पंजीकरण का आवेदन सीधे रजिस्ट्रार देखेंगे। वैसे तो आनलाइन आवेदन के लिए कामन सर्विस सेंटर को अधिकृत किया गया है लेकिन यदि आवेदक चाहें तो UCC की वेबसाइट के जरिये भी आवेदन कर सकते हैं।

विवाह पंजीकरण का प्रावधान

विवाह पंजीकरण के लिए राज्य सरकार ने विशेष ध्यान रखा है यहां 26 मार्च 2010 से लेकर समान नागरिक संहिता लागू होने की तिथि के बीच जो विवाह हुए हैं उनका पंजीकरण आगामी छ: माह के भीतर करवाना अनिवार्य होगा और संहिता के लागू होने के पश्चात के विवाह को भी विवाह के अगले 60 दिनों के भीतर पंजीकृत करवाना होगा।

विवाह विच्छेद का प्रावधान

यदि कोई दंपत्ति विवाह विच्छेदन करना चाहे तो ऐसी स्थिति में तलाक या विवाह शून्यता के लिए आवेदन करते समय विवाह पंजीकरण, तलाक या विवाह शून्यता डिक्री का विवरण, अदालत केस नंबर, अंतिम आदेश की तिथि, बच्चों का विवरण और कोर्ट के अंतिम आदेश की कॉपी अनिवार्य है।

क्या है आवेदकों के अधिकार

यदि UCC में प्रकाशित प्रावधानों से संबंधित किसी भी प्रावधान पर कोई रजिस्ट्रार और उप रजिस्ट्रार कार्रवाई नहीं करता है तो आवेदक ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के लिए स्वछंद है और सब रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार के पास अपील की जा सकती है। वहीं रजिस्ट्रार के अस्वीकृति आदेश के खिलाफ 30 दिन के भीतर रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकती है। यह सभी अपीलें और शिकायतें ऑनलाइन पोर्टल या ऐप के माध्यम से दायर हो सकेंगी।

HNN 24x7 Desk

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