उत्तराखंड प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण एक पर्वतीय राज्य के साथ-साथ अति संवेदनशील आपदा ग्रसित राज्य भी है। यहां प्रत्येक वर्ष समय-समय पर आपदाऐं दस्तक देती रहती हैं जिनसे सकुशल निपटना राज्य सरकार और ग्रामीणों के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। उत्तराखंड राज्य की आपदा के सुनिश्चित निपटान के लिए और बेहतर व तीव्र आपदा प्रबंधन के लिए विश्व बैंक ने ने 1480 करोड़ की ऋण राशि स्वीकृत कर दी है। अब विश्व बैंक सहायतित उत्तराखंड डिजास्टर प्रिपेयर्डनेस एंड रेजिलिएंट परियोजना (यू-प्रिपेयर) से आपदा प्रबंधन का ढांचा सुदृढ़ होगा। इस पूरी परियोजना की लागत का 80 प्रतिशत अंश केंद्र और 20 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करेगी।
2023 में मिली थी हरी झंडी, 2024 में हुआ ऋण पारित
वर्ष 2023 में राज्य के आपदा प्रबंधन की रीढ़ को सुदृढ़ करने के लिए और आपदा प्रबंधन के सुदृढ़ीकरण और आपदा के समय रिस्पांस टाइम कम करने के यू-प्रिपेयर का ढ़ांचा तैयार किया गया था और उस समय के सितंबर माह में कैबिनेट में इसे हरी झंडी मिल चुकी थी जिसके बाद इस परियोजना का प्रस्ताव केन्द्र सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। बीते सोमवार को केंद्रीय संयुक्त सचिव आलोक तिवारी, उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन और विश्व बैंक के भारत में निदेशक अगेस्ते तानो कोआमे ने इस परियोजना के लिए ऋण पर हस्ताक्षर अंकित किए। उत्तराखंड में बनने जा रहे इस यू-प्रिपेयर आपदा प्रबंधन ढांचे के तहत राज्य में आपदा से संबंधित अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित करने के साथ ही आपदा आश्रय गृहों, सड़कों व पुलों का निर्माण, जंगल की आग पर नियंत्रण के लिए प्रभावी कदम जैसे कार्य किए जाएंगे।
CM धामी ने प्रकट किया आभार
राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस परियोजना की स्वीकृति के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित केंद्र सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया है और कहा है कि इस यू-प्रिपेयर परियोजना के आकार लेने से राज्य में आपदा के समय राहत व बचाव कार्यों में तेजी के साथ ही आपदा के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।
ये होंगे मुख्य काम
अर्ली वार्निंग सिस्टम :- आपदा से संबंधित पूर्व चेतावनी तंत्र विकसित करने के लिए आपदा प्रबंधन का साफ्टवेयर अपडेट होगा। साथ ही विभिन्न स्थानों और नदियों पर सेंसर लगाए जाएंगे। जगह-जगह चेतावनी जारी करने को सायरन भी लगेंगे।
कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम :- परियोजना के तहत देहरादून में कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम बनेगा, जिससे सभी जिले संबद्ध होंगे। जिला स्तर पर भी आपदा कंट्रोल रूम की व्यवस्था सुदढ़़ होगी।
45 पुलों का निर्माण:- लोनिवि के ऐसे 45 पुलों का परियोजना में निर्माण होगा, जो कमजोर हैं या फिर इनमें खामियां हैं। आठ स्थानों पर सड़क सुरक्षा के कार्य होंगे।
10 आपदा आश्रय गृह:- आपदाग्रस्त क्षेत्र में प्रभावितों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने के दृष्टिगत संवेदनशील क्षेत्रों में आपदा आश्रय गृह बनाए जाएंगे।
19 फायर स्टेशन होंगे सशक्त :- परियोजना में फायर स्टेशन भी लिए गए हैं। इसके तहत चयनित 19 फायर स्टेशन में उपकरणों की उपलब्धता समेत अन्य कदम उठाए जाएंगे।
जौलीग्रांट में बनेगा प्रशिक्षण केंद्र :- एसडीआरएफ के जौलीग्रांट में स्थापित परिसर में आपदा प्रशिक्षण केंद्र बनाया जाएगा।
जंगल की आग की रोकथाम :- जंगल की आग पर नियंत्रण व रिस्पांस टाइम कम करने को क्रू-स्टेशनों की स्थापना, उपकरणों की व्यवस्था, मोटर साइकिल अथवा अन्य वाहनों की खरीद इस परियोजना के तहत होगी।