उत्तराखंड में केदारनाथ, यमुनोत्री व द्रोणागिरि की पैदल यात्रा करते हुए और अन्य ट्रैकिंग मार्गों पर कुछ दिनों के अंदर- अंदर यात्रियों के लिए रिफ्लेक्सोलाजी ( पैरों की थेरेपी) की सुविधाएं उपलब्ध हो जाएंगी। हर मार्ग पर पैरों की थेरेपी की सुविधाएं होंगी, जिससे यात्रियों को उनकी थकान का पता नहीं चलेगा व आराम से सभी अपनी यात्रा सफल बना सकेंगे।
सरकार द्वारा प्रदेश में 15 ट्रैकिंग रुट चुने गए हैं, जिनमें रिफ्लेक्सोलाजी की सुविधाएं यात्रियों को दी जाएगी। वैष्णो देवी तथा जम्मू समेत चार विशेषज्ञों द्वारा एक महीने के लिए तथा रुद्रप्रयाग में 15 दिनों तक स्थानीय लोगों को थेरेपी का निशुल्क प्रयास सिखाया जाएगा। सीखे हुए व्यक्तियों को यात्रा के दौरान इसमें रोजगार के अवसर प्राप्त कराए जाएंगे।
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वैष्णो देवी जाते हुए पैदल स्थानों पर यात्रियों की थकान दूर करने के लिए रिफ्लेक्सोलाजी की सुविधाएं है। मार्गों में जगह- जगह पर थेरेपी की सेवा उपलब्ध होने से थके हुए यात्रियों को रिफ्लेक्सोलाजी करके तरोताजा कर दिया जाता है। जिससे यात्री आराम से मार्ग को तय कर देते है। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज द्वारा इस प्रक्रिया में कहा गया कि उत्तरकाशी व रुद्रप्रयाग में थेरेपी प्रशिक्षण शिविर चलाए जा चुके हैं, जिसमें 70 से अधिक लोगों द्वारा भाग लिया गया हैं। सतपाल महाराज ने बताया कि रिफ्लेक्सोलाजी एक तरह की पुरानी चिकित्सा पद्धति है, जिसे भारत सहित कई एशियाई देशों में अपनाया गया है।
रोगों से बचाव में थेरेपी मददगार
रिफ्लेक्सोलाजी शरीर के अंगों से जुड़ी होती है, इसमे बिना लोशन, तेल के प्रयोग से अंगूठे व हाथों के प्रयोग से पैरों पर मालिश की जाती है। मसाज करने से पैरों की थकावट दूर हो जाती है और व्यक्ति अपने शरीर में आराम महसूस करता है। सतपाल महाराज के अनुसार रिफ्लेक्सोलाजी कई रोगों से हमारे शरीर का बचाव करती है। सतपाल ने कहा कि वैष्णो देवी पैदल मार्ग पर थेरेपिस्टों द्वारा 150 से 300 तक रु. लिए जाते है और वह हर रोज डेढ़ हजार रु. तक कमा लेते हैं। सतपाल ने बताया कि थेरेपी करने वालों के लिए रोजगार का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ है।