
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति में शीर्ष पद पर विराजमान कुछ पदाधिकारियों व अधिकारियों ने बोर्ड बैठक में निर्णय लेकर अपने स्वजन को लाभ पहुंचाया। बाद में मंदिर समिति के कर्मचारियों के विरोध के बाद इस निर्णय को वापस लेना पड़ा। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि भाजपा सरकार के मंत्री और दायित्वधारियों में अपने स्वजन व नजदीकियों को नौकरी पर लगाने या पहले से नौकरी करने वालों को अनैतिक लाभ पहुंचाने की होड़ लगी है।
उन्होंने कहा कि बोर्ड बैठक में जिन संविदा कर्मचारियों को लाभ पहुंचाया जा रहा था, वे सभी मंदिर समिति के पदाधिकारियों, सदस्यों या अधिकारियों के स्वजन थे। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली भाजपा सरकारों में नियुक्त श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के बोर्ड में अध्यक्षों व सदस्यों ने नौकरी, पदोन्नति, वेतन वृद्धि की रेवडिय़ां स्वजन, रिश्तेदारों को बांटीं। यशपाल आर्य ने कहा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में मंदिर समिति में वरिष्ठ नौकरशाहों या सार्वजनिक जीवन से जुड़े महानुभावों को पदाधिकारी बनाया जाता था।
ये सभी मंदिर से कुछ नहीं लेते थे और अपने संबंधों के बल पर मंदिर की आय और प्रतिष्ठा में वृद्धि करते थे। भाजपा सरकारों में इन परंपराओं का अवमूल्यन हुआ है। उन्होंने कहा कि जिन विभागों या कार्यालयों में स्वजन नौकरी कर रहे हैं, वहां परंपरा और नियमों के अनुसार उन्हें लाभ पहुंचाने वाले पदों पर राजनीतिक या प्रशासनिक नियुक्तियां नहीं होनी चाहिए।
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धर्म के नाम पर पल रही भाजपा को बताना चाहिए कि सिफारिशी कार्मिकों से सनातन धर्म और संस्कृति का भला किसप्रकार हो सकेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार और समिति ने अपनी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं किया तो कांग्रेस जल्द ही श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति में व्याप्त भ्रष्टाचार को सामने लाएगी। साथ में इस पर रोक लगाने के लिए प्रदेशव्यापी आंदोलन करेगी।