देहरादून

देहरादून फूड लिटरेचर फेस्टिवल का भव्य समापन

22 मार्च 2025 | देहरादून: देहरादून फूड लिटरेचर फेस्टिवल के पहले संस्करण का समापन शानदार सफलता के साथ हुआ। यह उत्सव खाने के शौकीनों, लेखकों और पाक विशेषज्ञों को एक साथ लाया, जहां दिनभर विचारोत्तेजक चर्चाओं और पहाड़ी व्यंजनों का लुत्फ उठाया गया। यह आयोजन होटल एलपी रेजीडेंसी के नए क्षेत्रीय कैफे “मॉनसून” में हुआ, जिसे मशहूर रेस्तरां संचालिका श्रुति गुप्ता ने पाक इतिहासकार रुशिना मुंशॉघिल्डियाल के सहयोग से आयोजित किया। फेस्टिवल की शुरुआत श्रुति गुप्ता के उद्घाटन भाषण से हुई, जो कोको ऑस्टेरिया और मॉनसून कैफे जैसे लोकप्रिय रेस्तरां की संस्थापक हैं। उन्होंने इस आयोजन को उत्तराखंड की समृद्ध पाक विरासत के उत्सव के रूप में प्रस्तुत किया, विशेष रूप से राज्य के 25 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर। रुशिना मुंशॉघिल्डियाल ने “भारतीय फूड राइटिंग का विकास” विषय पर मुख्य भाषण दिया, जिसमें उन्होंने मौखिक परंपराओं से लेकर आधुनिक पत्रकारिता तक की यात्रा को रेखांकित किया। दिनभर चली चर्चाओं में कई जानी-मानी हस्तियों ने भाग लिया। पहला पैनलमौखिक इतिहास और छिपी हुई रेसिपीज़: स्ट्रीट फूड और सामाजिक तानेबाने का दस्तावेजीकरण – में लोकेश ओहरी और राना सफ़वी जैसे इतिहासकारों ने भाग लिया। लेखक मानस लाल ने इस सत्र का संचालन किया। राना सफ़वी ने लखनऊ के नवाबों के दौर और गंगा-जमुनी तहज़ीब की चर्चा की, जबकि लोकेश ओहरी ने उत्तराखंड के स्ट्रीट फूड के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित किया। दूसरे पैनलखाने के बाहर खाने की संस्कृति का विकास – का संचालन पायलट से शेफ बने समीर सेवक ने किया। इस सत्र में वरिष्ठ फूड पत्रकार सौरिश भट्टाचार्य, लेखिका रुथ डिसूज़ा प्रभु, और पाक क्यूरेटर पवन सोनी शामिल हुए। पैनल ने रेस्तरां संस्कृति, उपभोक्ता व्यवहार और खाद्य आलोचना के बदलते स्वरूप पर चर्चा की। तीसरे सत्रक्षेत्रीय व्यंजन: पुनरुद्धार, प्रासंगिकता और पुनर्संरचना – में कल्याण कर्मकार, सदफ हुसैन और रुशिना मुंशॉघिल्डियाल ने हिस्सा लिया। श्रुति गुप्ता ने इस चर्चा का संचालन किया। कल्याण ने कहा, क्षेत्रीय व्यंजन केवल अतीत की याद नहीं, बल्कि इसका आधुनिक पुनर्परिवर्तन भी हैं। सदफ हुसैन ने मसालों की कहानियों और व्यापारिक मार्गों से जुड़ी सांस्कृतिक विरासत को उजागर किया। अंतिम पैनलबीज से कहानी तक: मौसमी सामग्री और स्थिरता की साहित्यिक व्याख्या – का संचालन लेखिका और SoulFit की संस्थापक रूपा सोनी ने किया। वैद्य शिखा प्रकाश ने प्रकृति के चक्र के अनुसार खानपान की महत्ता पर जोर दिया। फेस्टिवल के साझेदारों में बुक वर्ल्ड देहरादून (बुक और गिफ्टिंग पार्टनर), वैली कल्चर इंडिया, अम्मीजीज़ और सनराइज बेकर्स प्रमुख रहे। फेस्टिवल के दौरान उत्तराखंडी स्वादों से भरपूर विशेष व्यंजन परोसे गए, जिनमें पल्लर, तिलवाले खट्टे आलू, टिमूर पिस्यौं लूण, भांगजीरा चिकन, पहाड़ी पंचफोरन आलू, मंडुए की रोटी और लाल भात शामिल थे। खास मिठाइयों में बाल मिठाई कुल्फी और लाल भात की खीर ने सभी का दिल जीत लिया। इस अवसर पर वैली कल्चर इंडिया द्वारा “हिमालयन स्पाइस बॉक्स” का भी लोकार्पण किया गया, जिसमें फारन (जम्बू), जख्या, लखोरी मिर्च और पहाड़ी हल्दी जैसे स्थानीय मसाले शामिल हैं। संस्थापक रॉबिन नगर, रुशिना मुंशॉघिल्डियाल और श्रुति गुप्ता ने इसका संयुक्त रूप से अनावरण किया। फेस्टिवल के समापन समारोह में एलपी होटल्स के मालिक और मॉनसून के संस्थापक अभिषेक गोयल ने सभी वक्ताओं, मेहमानों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने घोषणा की कि फेस्टिवल का अगला संस्करण जनवरी 2026 में आयोजित किया जाएगा, जिसमें भारत की खाद्य परंपराओं की और भी गहराई से पड़ताल की जाएगी। इस प्रतिष्ठित आयोजन में पूर्व डीजीपी और लेखक आलोक लाल, हिमाचल टाइम्स ग्रुप की इंद्राणी पांधी, रेड एफएम के रजत शक्ति, अनुराग चौहान, लेखिका बिजोया सावियन, अनुवादक प्रियाक्षी राजगुरु गोस्वामी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।  

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