उत्तरप्रदेशधर्मराजनीतिसामाजिक

ज्ञानवापी मामले में आज आ सकता है कार्बन डेटिंग जांच पर फ़ैसला, जानते है पूरी खबर।

चार महिला याचिकाकर्ता जिनकी मांग पर इस मामले की अदालती सुनवाई शुरू हुई, उन्होंने बनारस की ज़िला जज की अदालत में सील किए गए वज़ूखाने की कार्बन डेटिंग करने की मांग की थी।बता दें कि इसी साल मई के महीने में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे हुआ था, जिसके बाद हिन्दू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के वज़ूखाने के बीचों बीच एक ‘शिवलिंग’ बरामद हुआ है। और जिसके बाद एक निचली अदालत ने उसे सील करने के आदेश दिए   तो पांच में से चार महिला वादियों के वकील सुधीर त्रिपाठी कहते हैं, “हमारी मांग है कि कार्बन डेटिंग के साथ-साथ वैज्ञानिक जांच कराई जाए. लेकिन बिना शिवलिंग को क्षति पहुंचाए चीज़ें पता चले. वैज्ञानिक जांच के ज़रिए वो यह पता लगा सकते हैं कि कितना लंबा चौड़ा है, कितने अंदर तक है. बहुत सारी चीज़ें हैं जो वैज्ञानिक तरीक़े से वैज्ञानिक बताएंगे. मुख्य काम तो ये पता करना है कि यह फ़व्वारा नहीं है, शिवलिंग है। उससे संबंधित वैज्ञानिक साक्ष्य होगा.”     कार्बन डेटिंग एक व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली विधि है, जिसका उपयोग कार्बनिक पदार्थों की आयु को जानने के लिए किया जाता है, जो चीज़ें कभी जीवित थीं। जीवित चीजों में विभिन्न रूपों में कार्बन होता है. डेटिंग पद्धति इस तथ्य का उपयोग करती है कि कार्बन का एक विशेष समस्थानिक  होता है, जिसे C-14 कहा जाता है, जिसका परमाणु द्रव्यमान  14 है, यह रेडियोधर्मी है और समय के साथ यह जैविक शरीर में कम होने लगता है.कार्बन डेटिंग को सभी परिस्थितियों में लागू नहीं किया जा सकता है। विशेष रूप से, इसका उपयोग निर्जीव चीजों की उम्र निर्धारित करने के लिए नहीं किया जा सकता है।  

ज्ञानवापी मामला- अब तक क्या हुआ?

 
  • 2019: दिसंबर में अयोध्या फ़ैसले के क़रीब एक महीने बाद वाराणसी सिविल कोर्ट में नई याचिका दाख़िल करके ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे कराने की माँग की गई.
  • 2020: वाराणसी के सिविल कोर्ट से मूल याचिका पर सुनवाई की माँग की गई.
  • 2020: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सिविल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाई और फिर इस मामले पर फ़ैसला सुरक्षित रखा.
  • 2021: हाई कोर्ट की रोक के बावजूद वाराणसी सिविल कोर्ट ने अप्रैल में मामला दोबारा खोला और मस्जिद के सर्वे की अनुमति दे दी.
  • 2021: मस्जिद इंतजामिया ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया और हाई कोर्ट ने फिर सिविल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाई और फटकार भी लगाई.
  • 2021: अगस्त में पाँच हिंदू महिलाओं ने वाराणसी सिविल कोर्ट में श्रृंगार गौरी की पूजा की अनुमति के लिए याचिका दाखिल की.
  • 2022: अप्रैल में सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे करने और उसकी वीडियोग्राफ़ी के आदेश दे दिए.
  • 2022: मस्जिद इंतज़ामिया ने कई तकनीकी पहलुओं के आधार पर इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी, जो ख़ारिज हो गई.
  • 2022: मई में मस्जिद इंतज़ामिया ज्ञानवापी मस्जिद की वीडियोग्राफ़ी को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया.
  • 2022: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होने से पहले 16 मई को सर्वे की रिपोर्ट फ़ाइल और
  • 2022: 16 मई को वाराणसी सिविल कोर्ट ने मस्जिद के अंदर उस इलाक़े को सील करने का आदेश दिया, जहाँ शिवलिंग मिलने का दावा किया गया था. वहाँ नमाज़ पर भी रोक लगा दी गई.
  • 2022: 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने शिवलिंगकी सुरक्षा वुजूख़ाने को सील करने का आदेश दिया, लेकिन साथ ही मस्जिद में नमाज़ जारी रखने की अनुमति दे दी.
  • 2022: 20 मई को सुप्रीम कोर्ट ने ये मामला वाराणसी की ज़िला अदालत में भेज दिया, सुप्रीम कोर्ट ने अदालत से यह तय करने को कहा है कि मामले आगे सुनवाई के लायक है या नहीं.
 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button