जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कृषि कानूनों के वापस होने पर बताया है, कि किसानों के धैर्य और शांतिपूर्ण की जीत हुई है। अरशद मदनी ने सरकार से नागरिकता संशोधन कानून को वापस लेने की मांग भी की है। राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना ने बयान में जारी कर ये भी कहा, कि कृषि कानून वापस लेने के फैसले ने ये भी साबित कर दिया, कि लोकतंत्र और लोगों की शक्ति ही सबसे बड़ी है। मौलाना का कहना है, कि पीएम मोदी कहते है, देश की संरचना लोकतांत्रिक है।
इस पर वह विश्वास रखते है। मौलाना ने कहा अब पीएम को कृषि कानून की तरह सीएए कानून को भी वापस लेना होगा। लोकतंत्र और लोगों की शक्ति ही सबसे बड़ी है। लोगों का सोचना गलत है, कि सरकार और संसद अधिक शक्तिशाली हैं, वह बिल्कुल गलत हैं। जनता ने एक बार फिर किसानों के रूप में अपनी ताकत का परिचय दिया है।
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मौलाना का कहना है कि चुनाव नजदीक होने के कारण कृषि कानून निरस्त किए गए हैं। हमें लगता है कि सीएए-एनआरसी राष्ट्रीयता से संबंधित है इसका खामियाजा भी मुसलमानों को भुगतना पड़ेगा सूत्रों के अनुसार मौलाना का ये भी कहना है, कि पीएम मोदी को मुसलमानों के संबध में भी लाए गए कानूनों पर ध्यान देना होगा। कृषि कानून के जैसे सीएए कानून को भी वापस लेना होगा।
शिवानी चौधरी