राष्ट्रीयस्वास्थ्य

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिल्ली सरकार पर लगाया 900 करोड़ का जुर्माना।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिल्ली की तीन लैंडफिल साइट्स से कूड़ा न उठा पाने पर दिल्ली सरकार पर 900 करोड़ रुपये जुर्माना लगाया है। एनजीटी ने कहा कि यह नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन है। पीठ ने कहा कि स्वास्थ्य की रक्षा न कर पाने के लिए दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग और दिल्ली नगर निगम दोनों जिम्मेदार हैं।     उपराज्यपाल के फैसलों के कारण दिल्ली के तीन लैंडफिल साइट पर करने के पहाड़ की ऊंचाई धीरे धीरे कम होने लगी है। तीन साल पहले की तुलना में इस साल जून से सितंबर के बीच कचरे के निष्तारण में 462 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। जून-सितंबर के दौरान करीब 26.1 लाख मीट्रिक टन कचरे का निष्तारण किया गया। कचरे को हटाने के लिए उठाए गए प्रभावी कदम  1. एमसीडी प्रसंस्करण के लिए ट्रोमेल मशीनों की संख्या छह से बढ़ाकर 10 कर दी गई। 50 ट्रोमेल मशीनों के लिए टेंडर प्रक्रिया अंतिम चरण में है।   2. मशीनों से निकलने वाले निष्क्रिय उत्पादों का इस्तेमाल इंटरलॉकिंग ब्लॉक भरने, निर्माण सहित कई और तरह के उपयोग भी किए जाते हैं।  रिफ्यूज्ड डिराइव्ड का औद्योगिक बॉयलर और बिजली संयंत्रों में भी उपयोग किया जाता है।   3. वर्तमान में तीन संयंत्रों में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट में रोजाना 5750 मीट्रिक टन आरडीएफ की रोजाना खपत हो रही है।   4. तेहखंड में एक और अपशिष्ट-से-ऊर्जा (वेस्ट टू एनर्जी) संयंत्र में चल रहे परीक्षण के दौरान प्रतिदिन 1000 मीट्रिक टन आरडीएफ का प्रसंस्करण किया जा रहा है। इसी माह संयंत्र के चालू होने की उम्मीद जताई गई है।   5. एमसीडी ने निष्क्रिय और सीएंडडी कचरे को उठाने की सार्वजनिक अपील की।   6. अपील की अच्छी प्रतिक्रिया मिली और करीब दो महीने में 21,000 मीट्रिक टन से अधिक निष्क्रिय और सी एंड डी निशुल्क उठाया गया।   7. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण(एनएचएआई) निष्क्रिय और निर्माण और विध्वंस कचरे का सर्वाधिक उपयोग करता है। दिल्ली-एनसीआर में करीब 20 लाख मीट्रिक टन का उपयोग किए जाने की उम्मीद है। बिल्डिरों, निर्माण एजेंसी और सड़क निर्माण करने वाली एजेंसियों को भी विरासत कचरा उठाने का अनुरोध किया गया।   8. इस साल जून से इंटरलॉकिंग ब्लॉक को भरने में अक्रिय और निर्माण एवं विध्वंस कचरे का उपयोग किया जा रहा है।   9. एमसीडी ने पहली बार ऊष्मीयता का पता लगाने के बाद एलजी के कहने पर रिफ्यूज डिराइव्ड फ्यूल (आरडीएफ) का सीमेंट कंपनियों में लैंडफिल साइट पर कोयले की जगह इस्तेमाल किया जा रहा है।   10. कचरे को उठाने के लिए एक सीमेंट कंपनी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। इसके तहत सालाना 50,000 मीट्रिक टन आरडीएफ उठानेऔर इसके लिए एमसीडी को प्रति मीट्रिक टन 100 रुपये का भुगतान करने पर सहमति बनी।   11. एक महीने से भी कम समय में, 2,200 मीट्रिक टन आरडीएफ को से हटा लिया गया है।

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