कोरोना वायरस के कारण देशभर में लगाए गए लॉकडाउन के चलते आर्थिक गतिविधियां बंद होने से वायु प्रदूषण में आई थी और कई शहरों में तो हवा साफ हो गई थी लेकिन वैज्ञानिकों की सेटलाइट से ली गई तस्वीरों से पता चला है कि मध्य पश्चिम और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में लॉकडाउन के बावजूद वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ा है इस तरह से बढ़ने वाले वायु प्रदूषण को लेकर वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है वैज्ञानिकों ने ऐसे इलाकों की पहचान की है जहां वायु प्रदूषण से होने वाली सांस की बीमारियों के खतरे के बारे में लोगों को चेताया है। वैज्ञानिकों में रिमोट सेंसिंग तकनीक के जरिए सेटेलाइट से ली गई तस्वीरों में पाया कि पिछले एक दशक में हवा में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ा है।
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ओजोन का स्वास्थ्य पर पड़ता है बुरा प्रभाव
हवा में ओजोन होती है, जिसमें हम सांस लेते हैं यह हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती हैं। ओजोन युक्त हवा में सांस लेने से लोगों को सबसे अधिक खतरा होता है, जिसमें अस्थमा की बीमारी वाले लोग, बच्चे, बूढ़े और ऐसे लोग शामिल होते हैं जो घर के बाहर काम करते हैं। इसके अलावा, कुछ अनुवांशिक विशेषताओं वाले लोग और कुछ पोषक तत्वों, जैसे विटामिन सी और ई के कम सेवन करने वाले लोगों को ओजोन के अधिक खतरा होता है। हवा में ओजोन बढ़ने से कई तरह की समस्याओं को बढ़ा सकती है जैसे छाती में दर्द, खांसी, गले में जलन और गले में सूजन। यह फेफड़ों के कार्य को धीमा कर सकता है और फेफड़ों के ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकता है। ओजोन ब्रोंकाइटिस, वातस्फीति व वायुस्फीति और अस्थमा को खराब कर सकता है, जिससे बीमार को चिकित्सा देखभाल की अधिक आवश्यकता हो जाती है।