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तेलंगाना विधानसभा चुनाव: अंतिम मतदान की वोटिंग जारी, इन दिग्गजों की किस्मत दांव पर

तेलंगाना विधानसभा चुनाव: अंतिम मतदान की वोटिंग जारी, इन दिग्गजों की किस्मत दांव पर तेलंगाना विधानसभा चुनाव: गुरुवार को तेलंगाना में अंतिम मतदान है. तेलंगाना विधानसभा के 119 सीटों के लिए मतदान हो रहा है. राज्य में कुल मतदान केंद्रों की संख्या 35,655 है. चुनाव आयोग के अनुसार राज्य के के 106 निर्वाचन क्षेत्रों में सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक और 13 वामपंथी उग्रवाद प्रभावित इलाकों में सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक मतदान होगा. तेलंगाना विधानसभा चुनाव में 2,290 उम्मीदवार प्रतिद्वंद्विता कर रहे हैं. राज्य के मुख्यमंत्री केसीआर, उनके मंत्री-पुत्र के टी रामाराव, राज्य कांग्रेस अध्यक्ष ए रेवंत रेड्डी एवं भाजपा के लोकसभा सदस्य बंदी संजय कुमार और डी अरविंद की किस्मत दांव पर लगी हैं. अन्य चार राज्यों की तरह ही तेलंगाना के रिजल्ट भी तीन दिसंबर को घोषित किए जाएंगे. चुनाव आयोग ने 9 अक्टूबर को चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा की थी. उसके बाद से राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी बीआरएस ने सभी 119 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि भाजपा एवं अभिनेता पवन कल्याण की अगुवाई वाली जन सेना क्रमशः 111 और 8 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. जबकि कांग्रेस ने अपने सहयोगी सीपीआई को एक सीट दी है. कांग्रेस खुद 118 अन्य सीटों पर चुनाव लड़ रही है. मुख्य निर्वाचन अधिकारी विकास राज का कहना है कि विधानसभा चुनाव के लिए 2.5 लाख से अधिक कर्मचारी चुनाव ड्यूटी में तैनात रहेंगे. तेलंगाना में पहली बार विकलांग व्यक्तियों और 80 वर्ष से अधिक उम्र के मतदाताओं को घर पर मतदान की सुविधा प्रदान की गई. सीएम केसीआर दो विधानसभा क्षेत्रों- गजवेल और कामारेड्डी से चुनाव लड़ रहे हैं. वह निवर्तमान विधान सभा में गजवेल से फिलहाल विधायक हैं. कामारेड्डी एवं गजवेल में रोमांचक मुकाबले हो सकते हैं. कांग्रेस ने कामारेड्डी में प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी को मैदान में उतारा है, जबकि भाजपा उम्मीदवार वेंकट रमण रेड्डी हैं. गजवेल में बीजेपी ने चुनाव अभियान अध्यक्ष एटाला राजेंदर को उतारा है. लोकसभा सदस्य रेवंत रेड्डी भी कोडंगल से चुनाव लड़ रहे हैं. भाजपा के राजेंद्र हुजूराबाद से फिर से मैदान में हैं. असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम ने नौ क्षेत्रों में उम्मीदवार उतारे हैं. बीआरएस 2014 से शुरू हुई अपनी जीत को जारी रखने पर जोर लगा रही है, जबकि कांग्रेस 2018 के बाद फिर से सत्ता में वापसी के लिए जोर लगा रही है. बता दें कि पिछली यूपीए सरकार ने तेलंगाना को राज्य का दर्जा दिया था.

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