उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव जल्द होने की कगार पर है, ऐसे में अब चुनावी गतिविधियां जोर पकड़ रही है। सत्ताधारी दलों व विपक्षी दलों द्वारा अपनी- अपनी चुनावी रणनीति को अंतिम रुप दिया जा रहा है, इसके लिए तरह- तरह के प्रयास पार्टियों द्वारा किये जा रहे है। राज्य में होने वाले चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी के नए चुनावी नेता भी अपनी जगह बनाने के लिए सक्रिय हो गये है।
राजनीति के इस समर में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी चुनाव से पहले विपक्ष की विनाशकारी नीति को खत्म करने जा रही है, इसी कारण एक महीने पहले चुपचाप बैठी कांग्रेस अब प्रहार के लिए मुद्दे खोजने व उनके प्रभाव का असर खोजने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस पहले ही कृषि कानून, देवस्थानम बोर्ड, कर्मचारी यूनियन जैसे मुख्य हथियार खो चुकी है, तो वहीं अब कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के रणनीतिकार चुनाव से पहले बीजेपी की नीति को काटने का रास्ता ढूंढ रहे हैं और चुनाव के मैदान में उतरने से पहले वार के नए तीर रखने में जुटे है।
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कांग्रेस पार्टी को केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसानों के आंदोलन पर भी काफी विश्वास था, अनुमान के अनुसार इस आंदोलन के जरिए विपक्ष करीबन 16 विधानसभा सीटों पर अपनी नजर साधने के मंसूबे में था, लेकिन यह भी उनके हाथों से फिसल गया।
सिमरन बिंजोला